प्रमोद मिश्रा
बिलासपुर/रायपुर, 02 मार्च 2022
छत्तीसगढ़ सरकार को हाईकोर्ट से बड़ी जीत हासिल हुई है । चर्चित झीरम घाटी मामले में हाईकोर्ट ने NIA की अपील को हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब राज्य शासन की जांच एजेंसी जांच के लिए है स्वतंत्र है। उल्लेखनीय है कि घटना में जान गंवाने वाले कांग्रेस नेता के उदय मुदलियार के पुत्र जितेंद्र मुदलियार ने बस्तर में दूसरी FIR कराई है। इसके खिलाफ NIA द्वारा लगाई गई याचिका निचले कोर्ट से हो गई थी खारिज। निचली अदालत से याचिका खारिज होने पर NIA ने HC में दायर की थी अपील।
झीरम घाटी कांड – घटना के बाद तत्कालीन PM डॉ. मनमोहन सिंह ने दिए थे जांच के आदेश
इस घटना के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एनआईए जांच के निर्देश दिए थे । जिसके बाद 5 जून 2013 को एनआईए की टीम बस्तर पहुंची थी और जांच शुरू हुई थी । इसके बाद एनआईए ने 23 सितंबर 2014 को पहला और 16 सितंबर 2015 को अंतिम जांच रिपोर्ट बिलासपुर हाईकोर्ट के समक्ष रखा । इस मामले पर रिटायर्ड जज मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का भी गठन किया गया, लेकिन कांग्रेस इसे राजनीतिक हत्याकांड कहती रही ।
सत्ता परिवर्तन के बाद फरवरी 2020 में कांग्रेस ने इस मामले पर एसआईटी का गठन किया था । साथ ही एनआईए से दस्तावेज भी मांगे गए लेकिन दस्तावेज ना देने के कारण जांच अभी शुरू नहीं हो पाई है। कुल मिलाकर यह पूरा मामला राजनीति का शिकार हो गया और झीरम घाटी का सच आज तक उजागर नहीं हो पाया । आरोप-प्रत्यारोप के बीच मृतकों की आत्माएं न्याय का इंतजार कर रही हैं ।
झीरम का दर्द
25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के काफिले पर बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों ने हमला कर दिया था । जिसमें वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं समेत कुल 27 लोगों की मौत हो गई थी । इस विभत्स हत्याकांड में कांग्रेस ने अपनी पहली पंक्ति के नेताओं विद्याचरण शुक्ल, नंद कुमार पटेल और महेंद्र कर्मा को खोया था ।