कलिंगा विश्वविद्यालय के द्वारा ‘‘एडवांस्ड इंस्ट्रूमेंट्स इन सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन फेसिलिटी” पर एक दिवसीय सम्मेलन का हुआ आयोजन, बड़ी संख्या में विद्यार्थी हुए शामिल

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कलिंगा विश्वविद्यालय मध्य भारत का प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान है। जिसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के द्वारा बी प्लस की मान्यता प्रदान की गयी है। यह छत्तीसगढ़ में एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है जो एनआईआरएफ रैंकिंग 2021 में उच्चस्तरीय 151-200 विश्वविद्यालयों में एक है। कलिंगा विश्वविद्यालय के सभी पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद आदि प्रतिष्ठित संस्थानों से मान्यता प्रदान की गयी है।

मूल्य आधारित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुसंधान पर केंद्रित कलिंगा विश्वविद्यालय में नये शोध और नयी खोज को विकसित करने के लिए सर्वसुविधायुक्त सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन सुविधा (सीआईएफ) की स्थापना की गयी है। सीआईएफ के द्वारा विश्वविद्यालयीय छात्रों और शिक्षकों के साथ-साथ निर्धारित शुल्क लेकर बाहरी शैक्षणिक संस्थानों और शोधकर्ताओं एवं विकास संगठनों के प्रशिक्षकों के लिए भी उच्च-स्तरीय शोध उपकरणों को उपलब्ध कराकर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिससे एक बेहतर शोध वातावरण बन सके। इसी तारतम्य में कलिंगा विश्वविद्यालय में सीआईएफ विभाग के द्वारा श्रृंखलाबद्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। इसी श्रृंखला में  कलिंगा विश्वविद्यालय के द्वारा 28 मई 2022 को शासकीय माता कर्मा महाविद्यालय, महासमुंद के विज्ञान विभाग के लिए विशेष रुप से एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था।

 

 

 

कलिंगा विश्वविद्यालय के फार्मेसी भवन में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति- डॉ. आर.श्रीधरमहानिदेशक- डॉ.बैजू जॉन, शासकीय माता कर्मा महाविद्यालय की सह प्राध्यापिका- डॉ. स्वेतलाना, सभी संकाय के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्रतिभागीगण और विद्यार्थियों की उपस्थिति में  ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना करने के पश्चात  किया गया।

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कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए नवीनतम और सबसे उन्नत विश्लेषणात्मक तकनीकों के साथ सर्वसुविधायुक्त प्रयोगात्मक ज्ञान प्रदान करना है। जिससे उपयोगकर्ता प्रयोगशाला, शोधकार्य और औद्योगिक आवश्यकता को समझकर अपने उद्देश्य को पूर्ण कर सकेंगे और उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करेंगे। इस प्रशिक्षण के उपरांत शोधकर्ता अपने सटीक शोध निष्कर्षों को देश-विदेश के प्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल में भेजकर प्रकाशित कर सकेंगे और वैश्विक विकास में सहभागी बनेंगे।“

कलिंगा विश्वविद्यालय के महानिदेशक डॉ. बैजू जॉन ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की संरचना को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि प्रशिक्षणार्थी प्रयोगशाला अनुसंधान और औद्योगिक आवश्यकता को समझ सकें और आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम के उपरांत निश्चित रूप से प्रशिक्षणार्थी इस मंच के तहत प्रशिक्षण विधि एवं विशेषज्ञ प्राध्यापकों के ज्ञान से लाभान्वित होंगे और एडवांस इंस्ट्रुमेंटेशन के कार्य और संचालन प्रक्रिया को आसानी से समझेंगे।

उक्त कार्यक्रम में अतिथियों के परिचय और स्वागत के उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। प्रथम वैज्ञानिक सत्र में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के  सह प्राध्यापक डॉ. एन. के. धापेकर और वनस्पति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक श्री अभिषेक कुमार पांडेय के द्वारा  एसईएम और एक्सआरडी के व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ विभिन्न अनुप्रयोगों पर विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी। भोजनावकाश के पश्चात आयोजित वैज्ञानिक सत्र में मुख्य प्रशिक्षक अभिषेक पांडेय और डॉ. सुषमा दुबे के द्वारा दूसरे सत्र में यूवी स्पेक्ट्रोमीटर, सेंट्रीफ्यूज और जेल वैद्युत कण संचलन के प्रदर्शन के लिए समर्पित था। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र में उपस्थित अतिथि और प्रतिभागियों के लिए औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ समारोह का समापन हुआ। उक्त समापन समारोह में कुलपति- डॉ. आर श्रीधर, महानिदेशक डॉ बैजू जॉन, समस्त अधिष्ठाता और विभाग के समस्त प्राध्यापक उपस्थित थे।

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यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एडवांस इंस्ट्रुमेंटेशन की क्षमताओं और सीमाओं पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करने में सफल रहा। जिसमें सैद्धांतिक पहलुओं पर व्याख्यान और प्रदर्शनात्मक प्रशिक्षण का विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को विभिन्न अनुप्रयोगों पर विस्तृत प्रशिक्षण देने के साथ-साथ सीआईएफ के मूल सिद्धांतों के आधारभूत ज्ञान से परिचित कराया गया। प्रतिभागियों को  प्रयोगशाला में बुनियादी उपकरणों का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षण देने के साथ-साथ  नयी तकनीक की जानकारी भी प्रदान की गयी।

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