प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 24 दिसंबर, 2022
छत्तीसगढ़ में साल 2018 विधानसभा चुनाव में 15 सालों तक सत्ता में रही बीजेपी को बड़ा झटका लगा था। चुनाव हारने का बड़ा कारण सूत्रों के मुताबिक कार्यकर्ताओं से भाजपा नेताओं की दूरी को ही बताया जा रहा था। चुनाव में हार की समीक्षा में पाया गया कि कार्यकर्ताओ की नाराजगी के कारण बीजेपी सत्ता से सीधे 14 सीटों पर सिमट गई। यही कारण है कि 2023 के चुनाव के पहले अभी से कार्यकर्ताओ को खुश करने की कवायद में जुट गई है। ऐसे में अब बीजेपी सभाओं और डिनर के जरिये कार्यकर्ताओं को साधने में जुटी हुई है।
भारतीय जनता पार्टी अब पूरी तरह से मिशन 2023 में जुट गई है। जहां उनके सामने प्रदेश सरकार को घेरने की बड़ी चुनौती है, तो वहीं दूसरी तरफ अपने नाराज कार्ययकर्ताओ को साधना भी भाजपा के लिए बड़ी बात है। क्योंकि 15 साल सत्ता का सुख भोग चुकी भाजपा के कार्यकर्ता नाराज रहे हैं। ऐसे में अब भाजपा कार्यकर्ताओं को ज्यादा तवज्जो देने के फार्मूले पर काम कर रही हैं। भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य गणेश शंकर मिश्रा बताते हैं कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है, कार्यकर्ता के बल पर चुनाव लड़ते हैं। भाजपा में कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाती है। भाजपा के कार्यक्रम चलते रहते हैं। कार्यकर्ता ही पार्टी की पूंजी है, ऐसे पूंजी को संभालकर रखना भाजपा का काम है।
कांग्रेस का आरोप
एक तरफ भाजपा इसे नियमित कार्यक्रम होने का हवाला दे रही है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को तरजीह देने के मामले पर कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि 15 साल दोयम दर्जे का व्यवहार बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ किया। अब कार्यकर्ताओं को मान मनोव्वल की बात कर रहे हैं कार्यकर्ताओ की बदौलत तो पार्टी है। कार्यकर्ताओ के साथ हमेशा रहना चाहिए, लेकिन जब हाथ से सब निकल गया तो कार्यकर्ताओं को मना कर क्या लेंगे।
2023 चुनाव में कार्यकर्ताओं के भरोसे!
वैसे भाजपा के राज्य के दिग्गज नेता अपने कार्यकर्ताओं के बीच जाकर उनसे उनका हालचाल पूछ रहे हैं। ताकि कार्यकर्ताओं और बड़े नेताओं के बीच की दूरी को पाटा जा सके। अब भाजपा का यह दांव पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को साधने में कितना कारगर होता है आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन कही न कही 2018 में विधानसभा चुनाव में हाथ से गई सत्ता को पाने के लिए 2023 के चुनाव में भाजपा एड़ीचोटी का दम लगाना पड़ेगा। ये बात तो एकदम स्पष्ट है।