ओस्लो: नार्वे में पुरातत्वविदों को एक हैरान करने वाली चीज मिली है। पुरातत्वविदों को यहां एक मंदिर से नॉर्स देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियां मिली हैं जो चौकोर हैं और सोने की बनी हुई हैं। ये कागज के टुकड़े जितनी पतली है। इन टुकड़ों पर नॉर्स देवता फ्रोय और देवी गर्ड को चित्रित करने वाला रूपांकन बना है। ये मेरोविंगियन काल के हैं, जो 550 ईस्वी से शुरू हुआ और वाइकिंग युग तक जारी रहा। माना जा रहा है कि बलि चढ़ाने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया हो।यूनिवर्सिटी ऑफ ओस्लो के मुताबिक विंग्रोम में होव फार्म के पास सड़क किनारे कुल 35 सोने के टुकड़े पाए गए हैं।
सोने के इन टुकड़ों में छेद नहीं है। इस कारण यह संभावना बेहद कम है कि इन्हें आभूषण की तरह पहना गया हो। सोने की पहली पन्नी 1725 में स्कैंडिनेविया में खोजी गई थी, जिसे बाद में गुलग्लबर का नाम दिया गया। इसका अनुवाद सुनहरे बूढ़े आदमी के रूप में किया गया। इस खुदाई का नेतृत्व करने वाली पुरातत्वविद् कैथरीन स्टेन ने इसे एक बेहद खास खोज बताया है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पन्नी काफी छोटी है और इसका आकार नाखून के बराबर का है।
1993 में पहली बार मिली थी फॉइल
लगभग तीन दर्जन सोने की पन्नी में से कई को एक इमारत की बीम में पैक किया गया था। वहीं बाकियों को दीवारों के अंदर से पाया गया। पुरातत्वविदों ने मूल रूप से 1993 में दो सोने की पन्नी के साथ इस छोटी इमारत को खोजा था। 2000 के दशक में उत्खनन से 28 सोने के टुकड़े मिले थे। हालांकि नॉर्वे और पूरे स्कैंडिनेविया में समान फॉइल पाए गए हैं। यह पहली बार है जब पुरातत्वविदों ने एक छोटी संरचना में इसे खोजा है।
नॉर्वे में मिलते हैं फॉइल
ओस्लो में सांस्कृतिक इतिहास संग्रहालय के पुरातत्वविद् इंगुन मैरिट रोस्टैड ने कहा, ‘सोने के ये छोटे टुकड़े दिखाई देते रहते हैं। या तो इन्हें उत्खनन से खोजा जाता है, या फिर मेटल डिटेक्टर के जरिए यह मिलते हैं। इसलिए नॉर्वे की अलग-अलग जगहों पर यह और भी मिल सकते हैं।’ एक दूसरी जगह पर खुदाई के दौरान पुरातत्वविदों ने इसी तरह की 30 अलग-अलग फॉइल खोजी हैं। स्टेन ने कहा कि इस तरह की फॉइल हमें ज्यादातर प्राचीन धार्मिक स्थलों से मिले हैं। लेकिन एक छोटी इमारत से यह मिलना हैरानी की बात है।