प्रमोद मिश्रा, 6 दिसंबर 2023
भारत में हर साल 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर की पुण्यतिथी है, उनकी याद में महापरिनिर्वाण दिवस जाता है. बौद्ध अनुयायियों के अनुसार डॉ अंबेडकर भी अपने कार्यों से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं. इसलिए उनकी पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. समाज में व्याप्त छूआछूत, दलितों, महिलाओं और मजदूरों से भेदभाव जैसी कुरीति के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले बाबा साहेब को भारतीय संविधान का आधार स्तंभ माना जाता है.
वे आज़ादी के बाद भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सात सदस्यों में से एक थे. भारत रत्न भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथी पर हम उनके प्रेरणादायक विचारों को याद कर रहे हैं, जो आज भी युवाओं में नई ऊर्जा भरने का काम करते हैं.
डॉ. बीआर अंबेडकर के प्रेरणादायक विचार
“मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है.”
“किसी समाज की प्रगति मैं उस समाज में महिलाओं की प्रगति से आंकता हूं.”
“जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक कानून द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता का आपके लिए कोई मायने नहीं है.”
“इतिहास को भूलने वाले इतिहास नहीं बना सकते.”
“शिक्षित, संगठित और प्रेरित हों.”
“धर्म मनुष्य के लिए है और मनुष्य धर्म के लिए नहीं है.”
“जैसे मनुष्य नश्वर है, वैसे ही विचार भी हैं. एक विचार को प्रचार की आवश्यकता होती है, जैसे एक पौधे को पानी की आवश्यकता होती है, अन्यथा यह सूख जाता है और मर जाता है.
“समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक नियामक सिद्धांत के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए.”
“बुद्धि का विकास मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए.”
बता दें कि विदेश जाकर अर्थशास्त्र डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाले बाबा साहेब पहले भारतीय थे. जब वह 1926 में भारत आए तब उन्हें मुंबई की विधानसभा का सदस्य चुना गया. वह आजाद देश के पहले कानून मंत्री बने. साल 1990 में उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था. 6 दिसंबर 1956 को डायबिटिज से पीड़ित होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई.