पुलिस और प्रशासन के बड़े चेहरों पर दिखेगा सत्ता परिवर्तन का असर- IPS कल्लूरी, अमित कुमार, प्रदीप गुप्ता व शशिमोहन, अंशुमान सिसोदिया, संजय सिंह जैसे अफसर लूप लाइन से निकलेंगे बाहर…..

छत्तीसगढ़

प्रमोद मिश्रा

रायपुर 07 दिसंबर 2023 :- प्रदेश में सत्‍ता परिवर्तन के साथ ही प्रशासनिक बदलाव की भी सुगबुगाहट तेज हो गई है। लंबे समय से लूप लाइन में बैठे अफसर शपथ ग्रहण का इंतजार कर रहे हैं। इन अधिकारियों को मिलेगा वेटेज

पुलिस में एडीजी एसआरपी कल्लूरी काफी प्रभावशील रहेंगे। बीजेपी शासन काल में कल्लूरी बस्तर आईजी की कमान संभाल चुके हैं। 94 बैच के आईपीएस कल्लूरी की अभी काफी लंबी सर्विस बाकी है। वे 2031 में रिटायर होंगे। याने अभी आठ साल उनकी सर्विस है।

98 बैच के आईपीएस अमित कुमार सीबीआई के डेपुटेशन से छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं। वे रायपुर समेत कई जिलों के एसपी रह चुके हैं। बेहद बैलेंस अफसर माने जाने वाले अमित कुमार को पुलिस महकमे में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएंगी। चर्चा यह भी है कि अमित कुमार को खुफिया के साथ एसीबी की कमान सौंप दी जाए।95 बैच के साफ-सुथरी छबि के आईपीएस प्रदीप गुप्ता की स्थिति भी ठीक-ठाक रहेगी। सरकार बदलने के बाद भी पीएचक्यू में उनकी स्थिति पर कोई फर्क नहीं आएगा। 94 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता का पोजिशन भी ठीक-ठाक रहेगा। 96 बैच के विवेकानंद के पास अभी नक्सल अभियान है। उनका भी यह विभाग बरकरार रह सकता है। कुल मिलाकर कांग्रेस सरकार में कल्लूरी हांसिये पर रहे लिहाजा नई सरकार में उनका प्रभाव ठीक रहेगा। हालांकि, भाजपा सरकार के 15 सालों में अफसरों से खास नाराजगी नहीं रहे। सो, सांकेतिक तौर पर सरकार कुछ दिन के लिए वर्तमान पोस्टेड अधिकारियों को बदलेगी मगर समझा जाता है, छह महीना, साल भर बाद जो अच्छे पारफार्मेस वाले अफसर हैं, उनकी वापसी हो सकती है।

आईएएस में सर्वाधिक नाम

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भाजपा की धमाकेदार जीत के बाद दो-एक दिन में मुख्यमंत्री का चयन हो जाएगा। इसके बाद मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण होगा। फिर पुलिस और प्रशासन में बड़ी संख्या में उलटफेर होगी। सबसे अधिक चेंज पुलिस में होगा। पुलिस मुख्यालय समेत रेंज आईजी और जिलों के कप्तान बदले जाएंगे। उधर दो दर्जन से अधिक कलेक्टर भी बदल जाएंगे। मंत्रालय में सचिवों के प्रभार में भी काफी बदलाव किया जाएगा। जिन अधिकारियों को कांग्रेस सरकार में हांसिये पर रखा गया, उन्हें अच्छे विभाग दिए जाएंगे।

2006 बैच के आईएएस दयानंद को सिर्फ आयुर्वेद विभाग का डायरेक्टर बनाया गया और उनसे जूनियर 2008 बैच के भीम सिंह पूरे हेल्थ विभाग के डायरेक्टर रहे। दयानंद समाज कल्याण विभाग के संचालक रहे और उन्हीं का बैचमेट उसी विभाग का सिकरेट्री। याने उनका बॉस। पिछले साल उन्हें सिकरेट्री का चार्ज दिया भी गया तो चिकित्सा शिक्षा विभाग का। यह चार्ज आमतौर पर हेल्थ के साथ ही रहता है। सो, दयानंद को बढ़ियां पोस्टिंग मिल सकती है। बीजेपी सरकार में वे कोरबा, बिलासपुर जैसे चार जिलों के कलेक्टर रह चुके हैं।

दयानंद के बाद आर संगीता दुर्ग में कलेक्टर रहते ऐसा घटनाक्रम हुआ कि नई सरकार बनने के बाद वे लगातार छुट्टियों में ही रहीं। उन्होंने ज्वाईन करने का साहस नहीं दिखाया। संगीता को अब मौका मिलेगा। सिकरेट्री लेवल पर आर प्रसन्ना की स्थिति भी इस सरकार में बहुत अच्छी नहीं रही। बार-बार उनका विभाग बदलता रहा। परराकाष्ठा तो यह हो गई कि हाई कोर्ट ने आईएएस को सिम्स का ओएसडी बनाने का आदेश दिया तो पूर्व सिकरेट्री हेल्थ रहे प्रसन्ना को सिम्स का ओएसडी बना दिया गया। जाहिर है, प्रसन्ना के लिए यह बड़ा झटका रहा होगा। आईएएस में निर्विवाद प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ की स्थिति में कोई फर्क नहीं आएगा।

 

 

 

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