छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों में स्थानीय बोली में प्रारंभिक शिक्षा जल्द : 18 स्थानीय भाषाओं-बोलियों में स्कूली बच्चों की पुस्तकें की जा रही तैयार, पहले चरण में छत्तीसगढ़ी, सरगुजिहा, हल्बी, सादरी, गोंडी और कुडुख में कोर्स होंगे तैयार

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 08 जुलाई 2024

छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचलों के बच्चे स्थानीय बोली व भाषा में जल्द ही पढ़ाई कर सकेंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए विष्णुदेव सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत सरकार आदिवासी अंचलों में बच्चों को उनकी स्थानीय बोली और भाषा में शिक्षा देने की पहल शुरू कर रही है।इसका उद्देश्य आदिवासी समुदायों में शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता को बढ़ाना है, जिससे बच्चे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त कर सकें और अपनी संस्कृति से जुड़े रहें।

 

 

 

बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करने और उन्हें स्कूल में नामांकन के लिए प्रेरित करने के लिए नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में शाला प्रवेशोत्सव मनाया जाता है। इस बार राज्य स्तरीय शाला प्रवेशोत्सव का शुभारंभ छत्तीसगढ़ के दूरस्थ आदिवासी जिले जशपुर के बगिया गांव में किया गया।

राजधानी रायपुर से हटाकर इस आदिवासी बहुल क्षेत्र में आयोजित इस कार्यक्रम ने राज्य के सुदूर कोने तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने की प्रतिबद्धता को दर्शाया।कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने स्थानीय भाषाओं में प्रारंभिक शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा इससे बच्चों की समझ और सीखने की प्रक्रिया में सुधार होगा। वहीं, यह पहल स्थानीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण में भी मददगार होगी।

इस पहल के तहत पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को स्थानीय बोलियों में अनुवादित किया जाएगा और शिक्षकों को भी इन भाषाओं में प्रशिक्षित किया जाएगा।स्कूल शिक्षा सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 18 स्थानीय भाषाओं-बोलियों में स्कूली बच्चों की पुस्तकें तैयार की जा रही हैं।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि 10वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए राज्य सरकार इस साल से दो बोर्ड परीक्षाएं आयोजित होंगी। वहीं, मुख्यमंत्री ने बताया पीएमश्री के तहत राज्य में प्रथम चरण में 211 स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

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