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सरकार का फैसला : NSG कमांडो हटाकर नौ अति महत्वपूर्ण नेताओं की सुरक्षा अब CRPF संभालेगी, योगी आदित्यनाथ और राजनाथ सिंह को मिलेगा उन्नत एएसएल प्रोटोकॉल

ब्यूरो रिपोर्ट
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर 2024

सरकार ने वीआईपी सुरक्षा में लगे NSG कमांडो को हटाने का निर्णय लिया है। वर्तमान में नौ अति महत्वपूर्ण लोगों को जेड प्लस सुरक्षा दी गई है, जिसमें NSG के ब्लैक कैट कमांडो तैनात हैं। अब अगले महीने से इनकी सुरक्षा का जिम्मा CRPF को सौंपा जाएगा। गृह मंत्रालय ने इसके लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की एक नई बटालियन को वीआईपी सुरक्षा प्रकोष्ठ के साथ जोड़ने की स्वीकृति दे दी है।

**किन नेताओं की सुरक्षा में अभी हैं NSG कमांडो**

 

सूत्रों के अनुसार, NSG के ब्लैक कैट कमांडो जिन नौ वीआईपी लोगों की सुरक्षा में लगे हैं, उनमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा अध्यक्ष मायावती, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू शामिल हैं। अब इन सभी की सुरक्षा CRPF के हवाले की जाएगी।

**CRPF को दी गई नई जिम्मेदारी**

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि CRPF, जो पहले से ही छह वीआईपी सुरक्षा बटालियनों का संचालन कर रही है, से सातवीं बटालियन को भी शामिल करने को कहा गया है। यह नई बटालियन, जो कुछ समय पहले तक संसद की सुरक्षा में तैनात थी, अब इन वीआईपी की सुरक्षा संभालेगी। संसद की सुरक्षा में हुई चूक के बाद इसे CISF को सौंप दिया गया था।

**एएसएल प्रोटोकॉल का लाभ**

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सूत्रों के अनुसार, इन नौ वीआईपी में से दो को CRPF द्वारा एएसएल (उन्नत सुरक्षा संपर्क) प्रोटोकॉल प्रदान किया जाएगा, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शामिल हैं। एएसएल के तहत वीआईपी के दौरे से पहले संभावित सुरक्षा खतरे की जांच की जाती है।

**ब्लैक कैट कमांडो की तैनाती में बदलाव**

सरकार ने NSG के ब्लैक कैट कमांडो की तैनाती को पुनर्गठित करने का फैसला किया है, ताकि उन्हें अयोध्या में राम मंदिर और अन्य उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में तैनात किया जा सके। 1984 में स्थापना के समय NSG को इस प्रकार की वीआईपी सुरक्षा के लिए निर्धारित नहीं किया गया था, लेकिन दो दशक से अधिक समय से यह काम इन्हें सौंपा गया था। अब इस बदलाव से NSG की श्रमशक्ति का उपयोग देश की अन्य सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए किया जाएगा।

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