प्रमोद मिश्रा
बिलासपुर, 26 नवंबर 2024
बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 2023-24 के आरक्षक संवर्ग की भर्ती प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाई है। यह फैसला न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय ने संविधान के समानता के अधिकार के उल्लंघन का संज्ञान लेते हुए दिया। अदालत ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) द्वारा बनाए गए नियमों को लेकर गंभीर आपत्तियां जताई हैं, जिसमें पुलिस कर्मियों के बच्चों को फिजिकल टेस्ट में रियायतें दी गई थीं।
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता बेद राम टंडन ने अपने वकील रवि कुमार भगत के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि 2007 के भर्ती नियमों की धारा 9(5) के तहत संशोधन करते हुए पुलिस कर्मियों के बच्चों को छाती और ऊंचाई के मानकों में छूट दी गई। यह संशोधन डीजीपी द्वारा 20 अक्टूबर 2023 को प्रस्तावित किया गया था, जिसे बाद में राज्य सरकार ने मंजूरी दी।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस छूट के कारण सामान्य उम्मीदवारों के साथ भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि उनके बेटे ने राजनांदगांव जिले में आरक्षक जनरल ड्यूटी के 143 पदों के लिए आवेदन किया था, लेकिन पक्षपातपूर्ण नियमों के कारण उनकी उम्मीदवारी प्रभावित हुई।
अदालत का रुख
न्यायमूर्ति पांडेय ने इस नियम को संवैधानिक समानता का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि ऐसी विशिष्ट रियायतें अन्य उम्मीदवारों के अधिकारों के साथ भेदभाव के समान हैं। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए भर्ती प्रक्रिया पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी और राज्य सरकार से विस्तृत उत्तर मांगा।
आगे क्या?
राज्य सरकार की ओर से पेश डिप्टी गवर्नमेंट एडवोकेट शैलजा शुक्ला ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
प्रभावित उम्मीदवारों पर असर
इस अंतरिम रोक ने भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। साथ ही, हजारों उम्मीदवारों का भविष्य भी अनिश्चित हो गया है। अदालत के इस फैसले से यह संदेश स्पष्ट है कि संविधान में समानता के अधिकार की सुरक्षा सर्वोपरि है।