अभाविप ने बताया बजट को शिक्षा के विपरीत, शिक्षा के विकास बिना नवा छत्तीसगढ़ की परिकल्पना असंभव : अभाविप

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार द्वारा सोमवार को विधानसभा में आगामी सत्र 2021-22 हेतु प्रस्तुत बजट को एक ऐसा दिवास्वप्न करार दिया है, जो कागजों के अतिरिक्त केवल कल्पना में ही साकार होता है और वास्तविकता से जिसका कोई सरोकार नहीं है ।
अभाविप के प्रदेश मन्त्री शुभम जायसवाल ने कहा कि इसमें कोई संशय नहीं कि इस बजट में भी गत वर्षों की तरह केवल हवा-हवाई बातें की गयी हैं, क्योंकि पिछले वर्ष के बजट में की गई घोषणाओं पर अभी तक अमल नहीं किये जाने से इस वर्ष के बजट में किये गये नवीन प्रावधानों पर क्रियान्वयन भी सन्देहास्पद ही है। इसके अतिरिक्त प्रदेश का युवावर्ग सरकार से यह आस लगाए बैठा था कि प्रदेश सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के लिए भी बजट प्रावधान करेगी लेकिन युवाओं को निराशा ही मिली है।
श्री जायसवाल ने कहा कि यदि हम वास्तवकिता के धरातल पर इस बजट के प्रावधानों की परीक्षा करते हैं तो यह पाते हैं कि इस बजट में चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र को छोडक़र शेष सभी शिक्षा-क्षेत्रों के लिए राशि आबण्टन में कमी की गई है। आज जब प्रदेश के शैक्षणिक संस्थान मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं तब बजट में यह कटौती स्वीकार्य नहीं हो सकती। सरकार को चाहिये था कि वह कोविड-19 के चलते उत्पन्न हुई विकट स्थितियों से उबरने के लिए शिक्षा क्षेत्र में अतिरिक्त राशि का प्रावधान करती लेकिन यहाँ तो गत वर्ष से भी कम राशि आबण्टित कर सरकार ने शिक्षा के प्रति अपने सौतेले व्यवहार का प्रदर्शन किया है।
सरकार द्वारा प्रादेशिक विश्वविद्यालयों को स्थापना हेतु जो बजट आबण्टित किया गया है वह भी अपने स्वयं के भवनों को तरस रहे इन विश्वविद्यालयों के लिए ऊँट के मुख में जीरे के समान ही है। अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्गों के विद्यार्थियों के लिए राज्य छात्रवृत्तियों में जहाँ महज एक करोड़ रूपयों की वृद्धि हुई है, वहीं उनके छात्रावासों के लिए तो गत वर्ष की तुलना में सात करोड़ रूपयों की कटौती की गई है। और बात केवल यहीं पर समाप्त नहीं हो जाती क्योंकि युवाओं को रोजगार देने का वादा कर सत्ता की सीढ़ी चढऩे वाली मौजूदा प्रदेश सरकार ने बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने अथवा उन्हें स्वरोजगार के नवीन अवसर उपलब्ध कराने के लिये कोई सराहनीय प्रावधान नहीं किये हैं।
प्रदेश मन्त्री श्री जायसवाल ने कहा कि विगत दो वर्षों के बजटों में की गयी विभिन्न घोषणाएँ तो अब तक अमली-जामा पहनाये जाने की प्रतीक्षा कर रहीं हैं। उस पर से इस वर्ष पुन: आकर्षक घोषणाएँ कर दी गई हैं । इस वर्ष भी नवीन महाविद्यालयों की स्थापना की घोषणा की गई है, जबकि दो वर्ष पूर्व खोले गये महाविद्यालय अब तक अपने भवन व आवश्यक संसाधनों के लिये जूझ रहें हैं । इससे इन नवीन घोषणाओं के क्रियान्वयन पर शंका होना स्वाभाविक सी ही बात है।
परिषद् के मन्तव्य से यदि इस बजट में पहले से घोषित कार्यों को प्राथमिकता से पूरे किये जाने की तथा नवीन शिक्षा नीति पर क्रियान्वयन की इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया जाता तो यह बजट निश्चित ही स्वागत योग्य होता पर दुर्भाग्य से यह बजट प्रदेश के युवावर्ग को महज दिन में सपनें दिखाने का प्रयास ही प्रतीत हो रहा है।

 

 

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