भूपेश टांडिया
रायपुर. 16 जुलाई 2021
आजीविका संवर्धन के लिए एक छोटा सा संसाधन भी कितना महत्वपूर्ण हो सकता है, इसकी जीवंत मिसाल है कोरिया जिले के किसान जगमोहन। बैकुण्ठपुर विकासखंड के गिरजापुर में रहने वाले जगमोहन अपने साढ़े तीन एकड़ के खेत में पहले बारिश के भरोसे खेती करते थे। रबी फसलों के बारे में तो वे सोच भी नहीं सकते थे। पर मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से खेत में बने कुएं ने उनकी किस्मत बदल दी है। अब वे खरीफ और रबी फसलों के साथ सब्जियों की भी खेती कर रहे हैं।
जगमोहन ने गांव के दूसरे किसानों को कुएं से सिंचाई करते देख मनरेगा के अंतर्गत अपने खेत में कुंआ निर्माण के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन दिया। ग्रामसभा के अनुमोदन के बाद वर्ष 2019-20 में जिला पंचायत ने कुएं की खुदाई के लिए दो लाख 20 हजार रूपए की राशि स्वीकृत की। मनरेगा के तहत कुंआ निर्माण के दौरान जगमोहन के परिवार को भी 46 मानव दिवस का सीधा रोजगार प्राप्त हुआ, जिसके लिए उन्हें नौ हजार रूपए की मजदूरी मिली। कुएं के निर्माण से फसलों की सिंचाई की व्यवस्था तो हुई ही, उनके परिवार को निस्तारी हेतु पानी के इंतजाम के लिए अब भटकना नहीं पड़ता। पहले बरसात या भीषण गर्मी के दिनों में पूरे परिवार की निस्तारी के लिए बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था।
जगमोहन कहते हैं कि मनरेगा के माध्यम से खेत में कुंआ खुदाई से उनकी बहुत सी समस्याएं हल हो गईं। अब बरसात में धान की खेती के साथ ही रबी मौसम में गेहूं और सब्जियां उगाने लगे हैं। पूरे साल खेती-बाड़ी का काम चलने से आजीविका की चिंता दूर हो गई है। वे बताते हैं कि कोरोना के कारण लागू बीते लॉक-डाउन के दौरान मटर, लहसुन, टमाटर, आलू जैसी सब्जियों का उत्पादन कर उन्होंने 15 हजार से 20 हजार रूपए कमाए। पिछले साल उन्होंने खरीफ मौसम में धान की भरपूर पैदावार लेकर 35 क्विंटल धान बेचकर 50 हजार रूपए से ज्यादा का लाभ अर्जित किया था। रबी मौसम में गेहूं की उपज से 13 हजार रूपए की कमाई की। जगमोहन ने गेहूं की फसल के बाद गर्मियों में उड़द लगाकर करीब एक क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया है।