प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 03 मार्च 2022
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा है कि शासन-प्रशाासन में तालमेल और पारदर्शिता नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार के एक मंत्री सार्वजनिक तौर पर कलेक्टर को चेतावनी दे रहे हैं, कांग्रेस के लोग अपनी ही सरकार के मंत्री पर तबादले के नाम पर उगााही का खुलेआम आरोप लगा रहे हैं, कांग्रेस के जनप्रतिनिधि और नेता सरकारी अफ़सरों से बदसलूकी कर रहे हैं। श्री साय ने कटाक्ष किया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भाजपा पर शासन-प्रशासन नहीं चला पाने का ताना मारते थे, अब न तो ‘घोड़ा’ और न ही ‘घुड़सवार’ उनके क़ाबू में हैं। आख़िर शासन-प्रशासन की यह ‘भूपेश-शैली’ छत्तीसगढ़ को और कितना शर्मसार करेगी?
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने के दावे करती प्रदेश की कांग्रेस सरकार और उसकी प्रशाासनिक मशीनरी भ्रष्टाचार के दलदल में आकंठ धँसी नज़र आ रही है। प्रशासनिक अधिकाारियों के आचरण ने प्रदेशभर में न केवल भ्रष्टाचार के तमाम रिकॉर्ड तोड़ने का काम किया है, अपितु जनकल्याण और जनसुविधा के कामों में उनकी अड़ंगेबाजी ने छत्तीसगढ़ के विकास को अवरुद्ध किया है। श्री साय ने सवाल किया कि आख़िर इस ‘अधिकारी राज’ के लिए ज़िम्मेदार प्रदेश सरकार अब अफ़सरशाही पर तिलमिला क्यों रही है? क्या मंत्री और अफ़सरों में तक़रार भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी में ‘अपने-अपने हिस्से’ को लेकर मच रही है? विष्णुदेव साय ने कहा कि इस बात की जाँच होनी चााहिए कि एसईसीएल द्वारा राशि जारी होने के बाद भी कोरबा कलेक्टर ने हरदीबाज़ार-तरदा और सर्वमंगला-इमलीछापर सड़क निर्माण की दूसरी किश्त का भुगतान क्यों रोक रखा है जिसके चलते सड़क निर्माण का काम ठप है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने यह कहकर कि, प्रदेश में कांग्रेस का शासनकाल अफ़सरशाही और भ्रष्टाचार-कमीशनखोरी का कलंकित दस्तावेज़ बन गया है, सवाल दागा कि जिस सरकार के मंत्रियों पर उनके ही दल के लोग अवैध उगााही के आरोप सरेआम लगाकर कठघरे में खड़े कर रहे हों, उस सरकार के एक मंत्री का कलेक्टर के ख़िलाफ़ इस तरह मोर्चा खोलना कहीं ‘हिस्से’ को लेकर पर्दे के पीछे छिड़ी ज़ंग का परिणाम तो नहीं है? विष्णुदेव साय ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के अपने कार्यकाल में कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने विकास के नाम पर एक धेले का भी काम नहीं किया है और जो काम जारी थे, उनमें या तो सरकार ने अड़ंगे लगाने का काम करके उन्हें बंद करा दिया या फिर नेता-अफ़सरों-ठेकेदारों की तिकड़ी ने सरकारी राशि की जमकर बंदरबाँट करके विकास के कामों को अपनी-अपनी तिजोरी भरने का ज़रिया बना रखा है और ‘अपने-अपने हिस्से’ को लेकर अब इस तरह की मोर्चाबंदी खुलकर सामने आ रही है।