प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 21 जुलाई 2022
देश के 15वें राष्ट्रपति के लिए आज मतगणना का दिन है । इस बार के चुनाव के बाद आने वाले परिणाम में द्रौपदी मुर्मू की जीत पक्की मानी जा रही है । क्योंकि, बीजेपी के अतिरिक्त बहुत से दलों ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया है । कई राज्यों से क्रॉस वोटिंग की भी खबर सामने आईं है । ऐसे में कहा है सकता है कि जिस रणनीति को लेकर बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया था । वो रणनीति अब सफल होने के कगार पर है । मुर्मू की जीत से बीजेपी को उम्मीद होगी कि राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में आने वाले चुनावों में इसका फायदा जरूर मिलेगा । अगर देशभर की बात करें तो 97 आदिवासी प्रभाव वाली सीटों जिनमें उड़ीसा में 24, झारखंड में 28, महाराष्ट्र में 14, तेलंगाना में 9, आंध्र प्रदेश में 7 और कर्नाटक में 15 सीटें हैं, यहां भाजपा के पास केवल 4 विधायक हैं। वहीं छत्तीसगढ़ में भी 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है ।
छत्तीसगढ़ में कितने सीट?
अगर छत्तीसगढ़ की बात करे तो यहां आदिवासियों के लिए 29 सीट आरक्षित है । 2018 के विधानसभा चुनाव में 29 में से 27 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था, तो वहीं बीजेपी को मात्र दो सीटें ही मिल पाई थी । ऐसे में इस बार द्रौपदी मुर्मू के जरिये बीजेपी इन सीटों पर इस मुद्दे का फायदा उठाने का भरपूर प्रयास कर सकती है । बीजेपी के लिए एक फायदे की बात यह भी है कि कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन न देकर विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को अपना मत दिया था । ऐसे में आने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इसे चुनावी मुद्दा भी बना सकती है । अब देखना होगा कि द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद बीजेपी इसे किस तरह से भुना पाती है ।