DMF फंड का बंदरबांट! : शिक्षा विभाग में प्रशिक्षितों को दरकिनार कर दी अप्रशिक्षितों की नियुक्ति, कसडोल BEO बोले – ‘CM साहब आने वाले थे…कोई शिकायत न हो..इसलिए आनन-फानन में की गई नियुक्ति’

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प्रमोद मिश्रा

बलौदाबाजार/रायपुर, 28 दिसंबर 2022

■ बिना डीएड-बीएड प्रशिक्षितों की हुई नियुक्ति

 

 

■ बीईओ ने कहा – ‘CM साहब के पास कोई शिकायत न हो, इसलिए जल्दबाजी में की गई नियुक्ति

■ DMF के मद का बंदरबांट का भी आरोप

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के स्कूल शिक्षा विभाग में अब DMF के पैसे का बंदरबांट देखने को मिल रहा है । ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जो तस्वीरें बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखंड से आई है, वो बतलाती है कि किस प्रकार से अपने मनचाहों को नियुक्ति दिलाने के चक्कर में पूरे नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जाती है । दरअसल, जिले के कसडोल विकासखण्ड में मुख्यमंत्री के भेंट मुलाकात कार्यक्रम के पहले विकासखंड के विद्यालयों में अतिथि शिक्षकों(व्यवस्था में) की नियुक्ति DMF फण्ड से की गई । इस नियुक्ति में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि इस नियुक्ति के लिए न तो कोई विज्ञापन निकाला गया और न ही किसी प्रकार की कोई सूचना दी गई । अतिथि शिक्षकों(व्यवस्था में) की भर्ती होने के बाद बाकी लोगों को पता चला कि कोई इस प्रकार की नियुक्ति भी हुई है । ऐसे में सवाल यह उठता है कि शिक्षा जैसे प्रमुख विभाग, जिससे प्रदेश और देश का भविष्य जुड़ा हो, बिना इंटरव्यू, बिना एग्जाम, बिना बीएड-डीएड किये ऐसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति क्यों की गई? क्या यह नियुक्ति नियम के तहत होता, तो अच्छे अभ्यर्थी का चयन नहीं होता, जिसके पास डिग्री, अनुभव के साथ बीएड और डीएड प्रशिक्षित हो और TET भी पास हो?

लेकिन शायद विभाग के जिम्मेदारों को इन सबसे कोई लेना देना नहीं रहा । इसलिए, नियुक्ति में विज्ञापन भी नहीं निकाला और न ही बीएड-डीएड जैसे कोर्स किये हुए प्रशिक्षितों को कोई जानकारी दी गई । बस शिकायत न हो जाये इसके डर में बेधड़क रूप से नियुक्ति की गई । ऐसे में DMF फण्ड की राशि दुरुपयोग भी होना कहा जा सकता है ।

इन नियुक्तियों में सबसे दिलचस्प बात यह भी है की अभ्यर्थियों की नियुक्ति इतने गुपचुप तरीके से हुई कि बाकी युवाओं को भर्ती होने के बाद पता चला कि अमुख व्यक्ति अमुख स्कूल में पढ़ाने जा रहा है । ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतने गुपचुप तरीके से शिक्षा विभाग जैसे जिम्मेदार विभाग में नियुक्ति क्यों की गई?

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अधिकारियों ने क्या कहा?

जब इस विषय में हमने जिले के शिक्षा अधिकारी सी एस ध्रुव से इस बारे में जानकारी लेनी चाही, तो उन्होंने कसडोल बीईओ को निर्देशित किया । कसडोल बीईओ राधे लाल जायसवाल ने जानकारी देते बताया कि अभी-अभी ट्रांसफर होने से कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी थी, ऐसे में उनकी पूर्ति के लिए अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति DMF फंड से की गई है । बीईओ जायसवाल ने जो आगे कहा वो और भी दिलचस्प है । दरअसल, विकासखंड के शिक्षा अधिकारी राधे लाल जायसवाल का कहना था कि सीएम साहब का दौरा होने वाला था…इसलिए कोई शिकायत न हो करके जल्दबाजी में धड़ा-धड़ नियुक्ति की गई, जिससे सीएम साहब के पास कोई शिकायत न हो..। अब बीईओ के इस बयान के बाद सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ सीएम के दौरे को देखते हुए ऐसे किसी भी नियुक्ति कर दी जाएगी? क्या किसी भी नियम को शिक्षा जैसे प्रमुख विभाग में नियुक्ति पर दरकिनार कर दिया जाएगा? क्या डीएड और बीएड जैसे प्रशिक्षित युवाओं को दरकिनार कर अप्रशिक्षितों की नियुक्ति कर देना जायज है? जब डीएड और बीएड के प्रशिक्षित युवा बेरोजगार बैठे है, तो क्या उनको पहले प्राथमिकता नहीं मिलनी चाहिए?

ये सब प्रश्नों का जवाब जब MEDIA24 न्यूज़ ने जिम्मेदार अधिकारी बीईओ से जानना चाहा, तो उनका कहना था कि हम सिर्फ यहीं चाहते थे कि सीएम साहब से कोई शिकायत न हो इसलिए नियुक्ति जल्दी की गई, अगली बार जुलाई में बकायदा विज्ञापन निकालकर नियुक्ति ली जाएगी । अब उनके बयान को देखा जाए तो क्या यह माना जाए कि अभी से लेकर परीक्षा होने तक, नॉन बीएड और डीएड धारी अतिथि शिक्षक बच्चों के भविष्य को सुधारने का काम करेंगे । सवाल और भी गंभीर हो जाता है, जब बीईओ कहते हैं कि प्रशिक्षितों युवा नहीं मिले इसलिए अप्रशिक्षितों की नियुक्ति कर दी गई । आप जब विज्ञापन जारी करेंगे नहीं, कोई आवेदन आएगा नहीं, तो आपको कैसे पता चल जाएगा कि प्रशिक्षित अभ्यर्थी मिले नहीं ।

प्राइवेट स्कूलों में भी प्रशिक्षित युवा अनिवार्य

जानकारी के मुताबिक जब प्राइवेट स्कूलों में भी पढ़ाने वाले शिक्षकों की भर्ती ली जाती है, तब भी स्कूल शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूलों के संचालकों को बकायदा निर्देश जारी करते हैं कि सिर्फ बीएड और डीएड शिक्षकों को ही बतौर शिक्षक लिया जाए ।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि जब प्राइवेट स्कूल में बीएड और डीएड प्रशिक्षित युवाओं की नियुक्ति करना है, तो सरकारी विद्यालयों में यह नियम लागू क्यों नहीं हो रहा है? क्या यह सीधे नियम का उल्लंघन नहीं है?

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कितने की हुई नियुक्ति?

आपको बता दे कसडोल विकासखंड में अब तक 101 अतिथि शिक्षकों(DMF फंड से) की नियुक्ति हुई है । जानकारी के मुताबिक बहुत सारे अतिथि शिक्षक जिनकी नियुक्ति हुई है, वो अप्रशिक्षित(डीएड और बीएड कोर्स नहीं किये) हैं । ऐसे में जिस हिसाब से गुपचुप तरीके से नियुक्ति हुई है, वो कई सवाल पैदा कर रहा है । सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या अपने चहेतों की नियुक्ति करने के लिए सारे नियम दरकिनार किये गए? क्योंकि जिस प्रकार गुपचुप तरीके से नियुक्ति हुई, उससे यहीं सवाल पैदा हो रहा कि कहीं अपने चहेतों की नियुक्ति के लिए नियम की धज्जियां तो नहीं उड़ा दी गई ।

 

आंकड़े क्या?

छत्तीसगढ़ में बीएड और डीएड प्रशिक्षितों की संख्या काफी ज्यादा है । जब हमने बीएड-डीएड प्रशिक्षित संघ के एक युवा से बात की तो उन्होंने बताया कि कसडोल विकासखंड में ही लगभग 4 से 5 हज़ार की संख्या में डीएड और बीएड प्रशिक्षित युवा आपको मिल जाएंगे ।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि यह युवा सिर्फ अपनी डिग्री अपने पास रखेंगे और कसडोल विकासखंड में अप्रशिक्षितों को नियुक्ति मिल जाएगी ।

क्या होता है DMF(District Mineral Foundation) फण्ड?

जिला खनिज फाउंडेशन(DMF) गैर-लाभकारी स्वायत्त ट्रस्ट है, जो खनन संबंधी संचालन से प्रभावित प्रत्येक ज़िले के समुदायों के हितों की रक्षा करता है और उन क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को लाभ पहुँचाने का कार्य करता है ।

DMF की प्रमुख बातें

■ DMF की स्थापना खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) (MMDR) संशोधन अधिनियम 2015 के तहत की गई थी।

■ वे खनन से संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए काम करने के लिए गैर-लाभकारी ट्रस्ट हैं ।

■ उद्देश्य-खनन से संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित के लिए इस प्रकार कार्य करना कि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।

■ क्षेत्राधिकार : इसका संचालन करने का तरीका संबंधित राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।

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