CG में बाघों के सरंक्षण में हुए खर्च को लेकर राजनीति तेज : BJP ने लगाया बड़े भ्रष्टाचार का आरोप, पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने कहा – ‘क्या अब अन्य प्राणियों की राशि में भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखी जा रही है?’

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 18 मार्च 2023

छत्तीसगढ़ में वन्य जीव बाघ के सरंक्षण में हुए खर्च को लेकर अब राजनीति तेज होते जा रही है । इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वन मंत्री महेश गागड़ा ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया है कि प्रदेश सरकार ने पिछले 2019 से 2022 (तीन वर्षों) में राज्य भर के कुल 19 बाघों पर 183.77 करोड़ खर्च कर दिए जबकि विशेषज्ञों व वन्यजीव संरक्षण के अभियान के लिए काम करने वालों का मानना है कि रिजर्व फॉरेस्ट के बाघों के खान-पान पर कोई खर्च ही नहीं किया जाता।

 

 

 

पूर्व वन मंत्री एवं भाजपा नेता महेश गागड़ा ने कहा कि प्रदेश सरकार क्या अब वन्य प्राणियों के लिए तयशुदा बजट राशि में भी भ्रष्टाचार का कोई नया अध्याय लिख रही है? महेश गागड़ा ने कहा कि 2019 से 2022 के वर्षों में खर्च की गई इतनी बड़ी रकम के बारे में प्रदेश सरकार स्थिति स्पष्ट करे। हर क्षेत्र में कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार और घोटाले करके छत्तीसगढ़ को कांग्रेस पार्टी का एटीएम बनाने वाली मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार नित नए घोटालों की इबारत लिख रही है और अब तो वन्य प्राणियों की बजट की राशि को लेकर सामने आए तथ्य इस सरकार के भ्रष्टत्तम राजनीतिक चरित्र की गवाही दे रहे है। श्री गागड़ा ने कहा कि रिजर्व फॉरेस्ट में पेट्रोलिंग को छोड़कर बाघों पर कोई खर्च नहीं होता और न ही वहां कोई बड़ा निर्माण कार्य हो सकता है। यह जंगल है और बाघों को वहां नितांत प्राकृतिक वातावरण में रखना होता है, तब यह रकम कहां खर्च की गई?

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भाजपा नेता व पूर्व मंत्री महेश गागड़ा ने कहा कि प्रदेश सरकार वन्य जीव संरक्षण और संवर्धन के नाम पर भी कोरी लफ्फाजी कर रही है। इस सरकार में न केवल वन्य प्राणियों की मौत, शिकार और तस्करी के मामले बढ़े हैं, अपितु जंगली इलाकों में बसे गांव में वन्य प्राणियों के मामलों में ग्रामीणों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। श्री गागड़ा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले 4 साल में जंगली हाथियों के हमले में 204 लोगों की मौत हुई। इसी तरह 45 हाथी भी सुरक्षा की बदइंतजामी के चलते मारे गए। वन्य प्राणियों के शिकार और उनकी तस्करी के मामलों में बेहद इजाफा होना प्रदेश की कांग्रेस सरकार के नाकारापन की ताकीद कर रहे हैं। महेश गागड़ा ने कहा कि हाथियों के खान-पान के लिए, हाथियों को धान खिलाने की शेखी बघारती प्रदेश सरकार हाथ बांधे बैठी नजर आ रही है। हाथियों को आबादी इलाकों में आने-जाने से रोकने के लिए रिजर्व लेमरू प्रोजेक्ट का भी अब तक कोई अता-पता नहीं है। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार ने अपने कुकर्मों और भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए शिगूफे छोड़ने के अलावा कोई ठोस काम नहीं किया है। अब बाघों पर 183.77 करोड़ रुपए के खर्च का यह सच इस सरकार को कठघरे में लाने के लिए पर्याप्त है।

 

क्या है पूरा मामला?

सदन में विधायक अरुण वोरा ने पूछा कि प्रदेश में कुल कितने टाइगर रिजर्व हैं ? इन टाइगर रिजर्व का क्षेत्रफल कितने वर्ग किलोमीटर में है ? पिछले 3 सालों में प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए कुल कितनी राशि खर्च की गई ? प्रदेश में अखिल भारतीय बाघ गणना 2018 में कुल कितने बाघों की संख्या थी। साल 2020 से दिसंबर 2022 तक कुल कितने बाघों की मौत हुई है ?

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सरकार का जवाब

विधायक वोरा को जवाब देते हुए मंत्री शिव डहरिया ने सदन में कहा- प्रदेश में कुल 3 टाइगर रिजर्व हैं, सीतानदी उदंती, इंद्रावती और अचानकमार। तीनों का कुल क्षेत्रफल 5555.627 वर्ग किलोमीटर है । पिछले 3 वर्षों में साल 2019-20, 20-21 और 21-22 में प्रदेश में बाघों के संरक्षण के लिए 183.77 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं । अखिल भारतीय बाघ गणना 2018 के अनुसार यहां कुल बाघों की संख्या 19थी, वर्ष 2020 में दिसंबर 2022 तक 2 बाघों की मौत हुई है।

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