मेकाज में मनाया गया अंगदान महोत्सव दिवस, MBBS के छात्र-छात्राओं ने लिया हिस्सा

छत्तीसगढ़

प्रमोद मिश्रा, 03 अगस्त 2023

स्व. बलिराम कश्यप मेमोरियल शासकीय मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को इंडियन ऑर्गन डोनेशन डे मनाया गया। इसमें वर्ष 2022 के छात्र-छात्राओं को इस दिन के लिए पोस्टर बनाने की बात भी कही गई थी। बेस्ट तीन पोस्टर बनाने वाले ग्रुप को प्रशस्ति पत्र भी दिया जाएगा। इन पोस्टरों के निरीक्षण के लिए तीन निर्णायक भी रखे गए थे, जिनके द्वारा ग्रुप का सलेक्शन भी किया गया।

इंडियन ऑर्गन डोनेशन डे के संबंध में एनाटोमी विभाग के एचओडी डॉक्टर बीथिका नेल कुमार ने बताया कि भारत सरकार के द्वारा आए आदेश के अनुसार आजादी के 75वें अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में अंगदान महोत्सव एक से 31 जुलाई तक मनाया गया। वहीं, ती अगस्त को छत्तीसगढ़ के सभी मेडिकल कॉलेज से लेकर जिला अस्पताल में अंगदान महोत्सव को मानने की अपील की गई थी

 

 

गुरुवार को मेकाज में वर्ष 2022 के एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं को इस दिन को मानने के साथ ही ऑर्गन के महत्व के बारे में जानकारी के लिए एक पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इसमें 124 छात्र-छात्राओं को अलग-अलग ग्रुप में विभाजित किया गया। उन्हें पोस्टर बनाने के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। इन ग्रुपों ने करीब 32 पोस्टर भी तैयार किए। इन पोस्टरों में बेस्ट पोस्टर के चयन के लिए तीन निर्णायक भी रखे गए थे, जिसमें डॉक्टर छाया सोरी, डॉक्टर प्रदीप पांडेय एवम कमलेश ध्रुव मौजूद थे। उनके द्वारा पोस्टरों का निरीक्षण करने के साथ ही उन पोस्टरों में बने ऑब्जेक्टिव के संबध में छात्र-छात्राओं से जानकारी ली गई।

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एक व्यक्ति के ऑर्गन से बचा सकते हैं 8 जिंदगी
बता दें कि प्रति वर्ष 13 अगस्त को दुनियाभर में ऑर्गन डोनेशन डे मनाया जाता है। नेशनल हेल्थ पोर्टल के मुताबिक, भारत में हर साल 5 लाख लोगों की मौत समय पर ऑर्गन न मिलने की वजह से हो जाती है। इनमें से दो लाख ऐसे हैं, जिनकी मौत लिवर नहीं मिलने की वजह से होती है। एक इंसान अपने ऑर्गन डोनेट कर आठ लोगों को नया जीवन दे सकता है।

ऑर्गन डोनेशन की कब हुई शुरुआत
आधुनिक चिकित्सा ने एक शख्स से दूसरे शख्स में अंगों को प्रत्यारोपित करना संभव बना दिया है। पहली बार सफल अंग प्रत्यारोपण अमेरिका में 1954 में किया गया था। डॉक्टर जोसेफ मरे को फिजियोलॉजी और मेडिसिन में जुड़वा भाइयों रोनाल्ड और रिचर्ड हेरिक के बीच सफलतापूर्वक किडनी प्रत्यारोपण करने पर 1990 में नोबेल पुरस्कार मिला था

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