प्रमोद मिश्रा, 17 सितम्बर 2023
जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि कोकरनाग के जंगल क्षेत्र में हाइडआउट को 10 से अधिक टीमों ने घेर रखा है। यही कारण है कि आतंकवादी अभी तक वहां से निकल नहीं पाए हैं। जांबाजों की शहादत को सलाम करते हुए कहा कि कुछ ऑपरेशन ऐसे होते हैं, जहां पर रिस्क बड़ा होता है। इसके बावजूद आगे बढ़ने वाले लोग बहादुर होते हैं। ऐसी सूरतों में नुकसान हो जाता है। कोई टैक्टिकल एरर वाली बात नहीं है।
वहीं पुलिस के पूर्व डीजीपी एसपी वैद ने कहा कि कुछ समय से जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी पहाड़ों, जंगलों और गुफाओं का इस्तेमाल कर गुरिल्ला वारफेयर का टैक्टिक अपना रहे हैं, ताकि सुरक्षाबलों को भारी नुकसान पहुंचा सकें। इसके लिए हमें रणनीति तैयार करनी होगी।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा, जांबाज अधिकारियों को सलाम करता हूं, जिन्होंने इस ऑपरेशन को लीड किया। जहां ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है, वह बहुत ही मुश्किल इलाका है। एक तो कड़ी चढ़ाई है, ऊपर से घना जंगल है। उसके अंदर हाइडआउट थी। यह लोग हाइडआउट के करीब पहुंच गए थे। बचाव की काफी कोशिश हुई। हालांकि जब तक हम उन्हें वहां से निकालते, तब तक उनकी शहादत हो गई गई थी।
उन्होंने कहा कि लगातार ऑपरेशन चल रहा है। सुरक्षाबलों की टुकड़ियां इन-पोजीशन हैं। डीजीपी ने एक सवाल के जवाब में कहा, वहां काफी खतरा है, क्योंकि दहशतगर्द छुपे हैं। उनका हाइडआउट भी है। करीब 10 पार्टियां अलग-अलग जगह पर लगी हुई थीं।
पूर्व डीजीपी शीश पॉल वेद ने कहा, अपने 35 वर्षों के तजुर्बे से देखता हूं कि ऐसी स्थिति दो-तीन संभावनाओं से होती है। एक जब आपका जो सोर्स है वो समझौता कर गया हो। वो आतंकवादियों से मिला हो और आतंकवादी आपको अपनी ओर खींचने की कोशिश करें और इस ताक में हों कि कुछ बड़ा हादसा किया जाए।
दूसरा कि जो ऑपरेशन आप लांच कर रहे हैं, उसकी इनफार्मेशन कैसे लीक हुई कि आप कब और किस रास्ते से किस समय आएंगे। इसके चलते उन्होंने घात लगाया और वो नुकसान पहुंचाने में कामयाब हुए। लगता है कि आतंकवादी कुछ बड़ा करने की ताक में थे। काफी समय से यह नैरेटिव चल रहा है कि कश्मीर में हालात बेहतर हो रहे हैं, 370 के बाद आतंकवाद कम हो रहा है। पत्थरबाजी बंद हो गई। आतंकवादी संख्या घट गई। विकास हो रहा है।
पूर्व डीजीपी वैद ने कहा, जब वर्ष 2017 में ऑपरेशन ऑल-आउट हमने शुरू किया था, उसकी कामयाबी की वजह से उनके हजारों आतंकी मारे गए। इसके बाद उन्होंने टारगेट किलिंग के सिलसिले को शुरू किया। उस पर सुरक्षाबलों ने काबू पाया। अब लगता है कि फिर से सीमा पार से आतंकी आका रणनीति बदल रहे हैं। राजोरी और कोकरनाग में ऑपरेशन हुआ। दोनों जगह आतंकवादी घने जंगलों में पनाह ले रहे हैं। गुरिल्ला वारफेयर का टैक्टिक अपनाया जा रहा है, ताकि सुरक्षाबलों को अंदर लाया जा सके और उनका नुकसान क्या जाए।
एडीजीपी कश्मीर विजय कुमार ने कहा कि कोकरनाग मुठभेड़ को लेकर कुछ पूर्व सैन्य व पुलिस अधिकारी अनुमान के आधार पर टिप्पणियां कर रहे हैं। इससे बचा जाना चाहिए। इस ऑपरेशन को सटीक सूचना के आधार अंजाम दिया गया है। दो से तीन आतंकी घिरे हुए है उन्हें शीघ्र मार गिराया जाएगा।