वोटों का ध्रुवीकरण रविंद्र चौबे की हार की वजह बना, या भाजपा की कोई खास रणनीति आई काम?

छत्तीसगढ़

प्रमोद मिश्रा

साजा, 4 दिसंबर 2023|

छत्तीसगढ़ में इस बार क्या चुनावों ने सांप्रदायिक रंग लिया, या भाजपा की रणनीति काम आई? ये सवाल बेमेतरा जिले की साजा विधानसभा सीट का परिणाम आने के बाद उठ रहे हैं। इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के मंत्री रविंद्र चौबे चुनावी मैदान में थे। उनके सामने चुनावी मैदान में भाजपा ने ईश्वर साहू को उतारा था। ईश्वर साहू के बेटे भुवनेश्वर साहू की बिरनपुर गांव में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मौत हो गई थी। साजा सीट पर भाजपा की जीत को बड़ी रणनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है। ईश्वर साहू ने कुल 101789 वोट हासिल कर छह बार के विधायक रहे रविंद्र चौबे को 5196 वोटों से पराजित किया है। ईश्वर साहू की जीत के पीछे वोटों का ध्रुवीकरण भी माना जा रहा है। आइए जानते हैं इन बातों में कितना दम है।

 

 

इसी साल अप्रैल में सांप्रदायिक दंगों में दो मुस्लिम-एक हिंदू की हुई थी मौत
छत्तीगसढ़ के बेमेतरा जिले में आने वाली सीट साजा में इसी साल अप्रैल में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। स्कूली मारपीट से शुरू हुई इस घटना ने जल्द ही सांप्रदायिक दंगों का रूप धर लिया था। इस घटना में दो मुस्लिम और एक हिंदू व्यक्ति की मौत हुई थी। दोनों पक्षों की तरफ से आगजनी की घटनाएं हुईं। घर जलाए गए। इन हिंसक झड़पों में भुवनेश्वर साहू की हत्या हुई। भाजपा ने भुवनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को टिकट दिया था। ईश्वर साहू लगातार वोट के बदले अपने बेटे के लिए इंसाफ देने की बात कहते रहे।
साहू की भावनात्मक अपील और भाजपा की यह रणनीति रही असरदार?
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि ईश्वर साहू भावनात्मक ढंग से यह चुनाव को लड़े। इस सीट पर करीब 60 हजार साहू वोटर हैं। वह निर्णायक होते रहे हैं। साहू समाज का एकमुश्त वोट ईश्वर साहू के पक्ष में पड़े इसके लिए भाजपा ने पूरी कोशिश की। साहू समाज के अलावा लोधी समाज बड़ी संख्या में इस सीट पर हैं। भाजपा की कोशिश रही थी कि सभी जातियों को ईश्वर के साथ खड़ा किया जाए। जानकार मानते हैं कि ईश्वर साहू को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने चुनावों को धार्मिक रंग देने की कोशिश की।

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