प्रमोद मिश्रा
नई दिल्ली, 19 जनवरी 2024|अब कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के स्टूडेंट्स को अपने यहां एडमिशन नहीं दे पाएंगे. ना ही अच्छे नंबर या रैंक दिलाने की गारंटी जैसे भ्रामक वादे कर सकेंगे. ये दिशानिर्देश एक कानूनी ढांचे की जरूरत को पूरा करने और बेतहाशा बढ़ते जा रहे प्राइवेट कोचिंग सेंटर्स की बढ़ोतरी को रोकने के लिए हैं.
स्टूडेंट्स सुसाइड, आग, कोचिंग संस्थानों में सुविधाओं की कमी के साथ-साथ उनके पढ़ाने के तरीकों के बारे में सरकार को मिली शिकायतों के बाद ये दिशा-निर्देश तैयार किए गए हैं. गाइडलाइंस में कहा गया, ‘कोई भी कोचिंग इंस्टिट्यूट ग्रेजुएशन से कम योग्यता वाले टीचर्स की नियुक्ति नहीं करेगा. कोचिंग इंस्टिट्यूट्स स्टूडेंट्स के एनरोलमेंट के लिए माता-पिता को भ्रामक वादे या रैंक या अच्छे अंक की गारंटी नहीं दे सकते.
इंस्टिट्यूट्स 16 साल से कम उम्र के छात्रों का नामांकन नहीं कर सकते. स्टूडेंट्स का कोचिंग संस्थान में नामांकन माध्यमिक विद्यालय परीक्षा के बाद ही होना चाहिए. दिशानिर्देश में कहा गया, कोचिंग इंस्टिट्यूट्स कोचिंग की क्वॉलिटी या उसमें दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर कोई भ्रामक विज्ञापन पब्लिश नहीं करा सकते. कोचिंग संस्थान किसी भी टीचर या ऐसे शख्स की सेवाएं नहीं ले सकते, जो नैतिक कदाचार से जुड़े किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो. कोई भी संस्थान तब तक रजिस्टर्ड नहीं होगा जब तक कि उसके पास इन दिशानिर्देशों की जरूरत के मुताबिक परामर्श प्रणाली न हो.
गाइडलाइंस के मुताबिक, ‘कोचिंग संस्थानों की एक वेबसाइट होगी जिसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों (ट्यूटर्स) की योग्यता, सिलेबस/पूरा होने की अवधि, हॉस्टल सुविधाएं और ली जाने वाली फीस की अपडेटेड डिटेल होगी.’ आगे कहा गया, स्टूडेंट्स पर कॉम्पिटिशन और पढ़ाई के दबाव के कारण कोचिंग संस्थानों को उन्हें तनाव से बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए और उन पर ज्यादा दबाव डाले बिना क्लासेज चलानी चाहिए.
अब बनाना पड़ेगा मदद देने के लिए सिस्टम
गाइडलाइंस के मुताबिक, ‘कोचिंग इंस्टिट्यूट्स को संकट और तनावपूर्ण स्थितियों में छात्रों को लगातार मदद देने के लिए एक सिस्टम बनाना चाहिए. अधिकारी इसके लिए कदम उठा सकता है कि कोचिंग संस्थान एक परामर्श प्रणाली बनाए जो छात्रों और अभिभावकों के लिए आसानी से उपलब्ध हो.’
दिशानिर्देश में स्टूडेंट्स के दिमागी विकास को लेकर ये गाइडलाइंस पिछले साल कोटा में रिकॉर्ड संख्या में छात्रों की आत्महत्या करने की घटना के बाद आई है. दिशानिर्देश में कहा गया कि विभिन्न सिलेबस की फीस ट्रांसपेरेंट और तार्किक होना चाहिए और वसूले जाने वाली फीस की रसीद दी जानी चाहिए.
लौटानी पडे़गी फीस
इसमें साफ किया गया है कि अगर छात्र बीच में ही सिलेबस छोड़ता है तो उसकी बची हुई अवधि की फीस लौटाई जानी चाहिए. नीति को सशक्त बनाते हुए केंद्र ने सुझाव दिया है कि कोचिंग संस्थनों पर दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाना चाहिए या अत्यधिक शुल्क वसूलने पर उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाना चाहिए.
कोचिंग संस्थानों की उचित निगरानी के लिए सरकार ने दिशानिर्देश के प्रभावी होने के तीन महीने के भीतर नए और मौजूदा कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण करने का प्रस्ताव किया है. दिशानिर्देश के मुताबिक राज्य सरकार कोचिंग संस्थान की गतिविधियों की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगे.