ब्यूरो रिपोर्ट
नई दिल्ली, 14 मार्च 2024|प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने गुरुवार (14 मार्च) को रिटायर्ड IAS अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को चुनाव आयुक्त के रूप में चुना है। बैठक से निकलने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी। ज्ञानेश कुमार केरल कैडर और सुखबीर सिंह संधू उत्तराखंड कैडर के हैं।
सुखबीर सिंह संधू केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंंह धामी के साथ काम कर चुके हैं। संधू दोनों नेताओं के काफी चहेते रहे। संधू को 2021 में पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने पर मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। तब द इंडियन एक्सप्रेस के दैनिक कॉलम ‘दिल्ली कॉन्फिडेंशियल’ में छपा था कि माना जाता है कि संधू को राज्य के नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अनुरोध पर उत्तराखंड भेजा गया है। उसमें यह भी लिखा था कि अनुरोध आते ही उन्हें वहां भेज दिया गया।
उत्तराखंड का मुख्य सचिव नियुक्त किए जाने से पहले संधू भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अध्यक्ष थे। NHAI अध्यक्ष का पद छोड़ने पर केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जमकर उनकी तारीफ की थी। गडकरी ने एक्स के माध्यम से संधू को बधाई देते हुए NHAI के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल को “Best Ever” बताया था।
कौन हैं सुखबीर सिंह संधू?
सुखबीर सिंह संधू का जन्म 1963 में हुआ था। वह पंजाब से हैं और 1988 बैच के उत्तराखंड कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त सचिव के रूप में भी काम किया है।
सुखबीर सिंह संधू ने अमृतसर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री ली है और गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (अमृतसर) से इतिहास में मास्टर डिग्री भी हासिल की है।
सुखबीर सिंह संधू के पास लॉ की डिग्री भी है। संधू ने ‘Urban Reforms’ और ‘Municipal Management and Capacity Building’ पर शोध किया है। संधू को पंजाब के लुधियाना के नगरपालिका निगम आयुक्त के रूप में सेवा देने के लिए राष्ट्रपति पदक से भी नवाजा जा चुका है।
कांग्रेस की क्या है आपत्ति?
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति में विपक्षी सदस्य और कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल थे। उन्होंने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की इस प्रक्रिया पर प्रश्न उठाया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, ” तीन सदस्यीय कमेटी में एक प्रधानमंत्री, एक मंत्री और मैं विपक्ष का। शुरू से ही बहुमत सरकार के पक्ष में है।”
अधीर ने यह दावा किया कि शॉर्टलिस्ट किए गए अधिकारियों के नाम पहले उन्हें नहीं दिए गए। लंबी सूची में 92 अधिकारियों के थे। चौधरी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “बैठक शुरू होने से आठ से 10 मिनट पहले सर्च कमेटी के दस्तावेज़ मेरे साथ शेयर किए गए। मुझे छह नामों की एक छोटी सूची दी गई और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने चयन समिति को इन छह अधिकारियों का विवरण दिया, यानी वे किन पदों पर काबिज थे, उनका प्रशासनिक रिकॉर्ड इत्यादि। ऐसा कहा गया कि समिति को छह अधिकारियों की इस सूची में से दो नामों का चयन करना है।”
चौधरी के अनुसार, छह अधिकारियों के नाम थे – उत्पल कुमार सिंह, प्रदीप कुमार त्रिपाठी, ज्ञानेश कुमार, इंद्रवर पांडे, सुखबीर सिंह संधु और सुधीर कुमार गंगधर राहटे।
चौधरी ने बताया, “अमित शाह ने दो नाम प्रस्तावित किए – ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधु। इसके बाद प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या मैं कुछ कहना चाहता हूं। मैंने उन्हें बताया कि मैंने सरकार से पहले ही शॉर्टलिस्ट उम्मीदवारों के बायो-प्रोफाइल उपलब्ध कराने के लिए कहा था जिससे उनके प्रोफाइल देखने के बाद मुझे सही निर्णय लेने में मदद मिलती। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मैं कल रात अपने निर्वाचन क्षेत्र से दिल्ली पहुंचा और मुझे 212 अधिकारियों की एक विस्तृत सूची मिली। इतने कम समय में 212 अधिकारियों के बारे में, उनकी ईमानदारी, अनुभव और प्रशासनिक क्षमता का विवरण कैसे प्राप्त कर सकता हूं? यही कारण है कि मैंने शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के बायो-प्रोफाइल मांगे थे।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने उन्हें बताया कि आपने ये दो नाम प्रस्तावित किए हैं..आप केवल औपचारिकता पूरी कर रहे हैं…मैं भी औपचारिकता पूरी करूंगा और अपनी असहमति दर्ज करूंगा। मैंने उनसे कहा कि मेरी असहमति को रिकॉर्ड में ले लें। और असहमति प्रक्रिया को लेकर है। मैं 212 अधिकारियों का विवरण जानने और उसका पता लगाने के लिए कोई जादूगर नहीं हूं।”