ध्यान दे सरकार…सरगुजा में एक सरकारी स्कूल ऐसा भी, जहां बच्चे जर्जर शौचालय और किचन सेड में पढ़ने को मजबूर, बच्चों की गुहार सुनिये

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अंजलि सिंह

सरगुजा, 06 अगस्त 2024

बच्चों को पढ़ाने के लिये सरकारें विशेष प्रयास करने का दावा भी करती हैं, पर क्या यह केवल सोशल मीडिया व कागजों पर ही रहकर रह जाता है? हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले की एक ऐसी तस्वीर देखने को मिला है। जहां जर्जर शौचालय और किचन सेड में अव्यवस्थाओं के बीच स्कूल का संचालन किया जा रहा है ।

 

 

 

राज्य सरकार प्रतिवर्ष जुलाई के महीने में साला प्रवेश उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाती है। जनप्रतिनिधि विद्यालय जाते हैं बच्चों का स्वागत करते हैं, फूल माला भी पहनाते हैं, गणवेश व पढ़ाई की सामग्री को वितरित किया जाता है। विद्यालय में छात्र प्रवेश उत्सव मनाने के बाद भी वहाँ के छात्र किचन सेड में पढ़ाई कर रहे हैं।

किचन शेड से संचालन
सरगुजा जिले के लखनपुर विकासखंड में देखने को मिला है, जहां जर्जर शौचालय और किचन सेड में अव्यवस्थाओं के बीच स्कूल का संचालन किया जा रहा है। और मौत के साए तले बच्चे नदी पार कर जर्जर शौचालय और कीचन सेड में पढ़ाई करने को मजबूर है। ग्रामीणों के द्वारा कई बार शासन प्रशासन से स्कूल भवन निर्माण कराया जाने की मांग की गई है। परंतु आज तक भवन का निर्माण नहीं हो सका। शिक्षा सत्र 2024 – 25 में लखनपुर विकासखंड के ग्राम तुनगुरि अहीरपारा प्राथमिक शाला का भवन नहीं होने से लगभग सवा महीने से प्राथमिक शाला के जर्जर शौचालय और किचन सेड में स्कूल का संचालन किया जा रहा है।

नदी पार कर आते हैं बच्चे

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इस प्राथमिक शाला में लगभग 22 बच्चे अध्यनरत है। जहां तीन शिक्षक पदस्थ है। जर्जर शौचालय को कार्यालय बनाया गया वहीं जर्जर छोटे से किचन सेड में बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।सवा महीने से बच्चे मौत के साए तले नदी पार कर जर्जर शौचालय और किचन सेड में पढ़ाई करने को मजबूर है। तुनगुरी अहिरपारा प्राथमिक शाला में बच्चों के लिए न तो बैठने की व्यवस्था, न पानी न ही शौचलय की व्यवस्था है। अव्यवस्थाओं के बीच बीच स्कूल का संचालन हो रहा है। ऐसे में मासूम बच्चे जर्जर शौचालय और किचन सेड में अपना भविष्य गढ़ रहे हैं। हमें विश्वास है कि इस समस्या पर ज़िम्मेदार ध्यान अवश्य देंगे और समाधान निकालेंगे।

क्या कहते हैं स्थानीय?
“डेढ़ वर्ष पहले विद्यालय को तोड़ दिया गया आज बच्चे किचन सेड में पढ़ रहे हैं हम लोग कई बार मांग कर चुके हैं पर इस और कोई ध्यान नहीं देता।”-गोवर्धन यादव, स्थानीय ग्रामीण

“मैं 1 वर्ष से इस विद्यालय में पदस्थ हूं पूर्व में एक प्राइवेट भवन में विद्यालय का संचालन हो रहा था पर किसी कारण से भवन को छोड़ना पड़ा । पीछे जो पेड़ है । उसके चबूतरा में हम बच्चों को पढ़ा रहे थे बारिश के मौसम में हम किचन सेड में बच्चों को पढ़ा रहे हैं और ऑफिस का संचालन टॉयलेट में कर रहे हैं कई बार ग्रामीण व हमने मांग की है पर इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।”- बुधराम पंडो, शिक्षक

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