बिलासा एयरपोर्ट को लेकर सेना के रूख से हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी : विकास कार्यों में हो रही देरी को लेकर अपनाया कड़ा रुख, पढ़े पूरी ख़बर…

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प्रमोद मिश्रा

बिलासपुर, 3 सितम्बर

बिलासा एयरपोर्ट और हवाई सुविधा के विकास के लिए लगी हुई जनहित याचिकाओं के सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विकास कार्यों में हो रही देरी पर कड़ा रूख किया है। जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य और केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जमीन हस्तांतरण के मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए है। इसके पहले नाइट लैंडिंग सुविधा को लेकर किए जा रहे कार्य की प्रगति को लेकर हाईकोर्ट ने सीधे सवाल पूछा है।

 

 

 

बता दें, हाईकोर्ट में बिलासा एयरपोर्ट के विकास के लिए लगातार जनहित याचिका की सुनवाई की जा रही है। इस दौरान जमीन हस्तांतरण के मामले में अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव के द्वारा हाईकोर्ट को बताया गया कि सेना के द्वारा 90 करोड़ रुपये की धनराशि वापस कर दी गई है और अब नए रायपुर में जमीन की मांग कर रहे हैं जबकि इसी अदालत में रक्षा मंत्रालय की ओर से 287 एकड़ भूमि देने के बारे में सहमति दी जा चुकी है।

इस मसले पर डिवीजन बेंच ने राज्य और केन्द्र सरकार से वस्तुस्थिति जाननी चाही। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि जमीन राज्य सरकार के कब्जे में है परंतु वे सेना के द्वारा पैसा वापस करने के सवाल पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर सके। केन्द्र सरकार की ओर से उपस्थित डिप्टी सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा से भी सेना के बदलते हुए स्टैंड के दावे पर निर्देश लेने के बात कही। हाईकोर्ट ने दोनों को भूमि हस्तांतरण पर वर्तमान स्थिति का स्टेटस रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए।

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राज्य सरकार ने बैठक की दी जानकारी
राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि गत 5 अगस्त को एक बैठक हाईकोर्ट के निर्देष पर हुई थी। जिसमें डीवीओआर टेक्नोलॉजी के उपकरण लगाने पर सहमति बनी थी। इस मीटिंग के दौरान एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने इस कार्य में होने वाले कुल खर्च की जानकारी दी थी। जिसे छत्तीसगढ़ सरकार को वहन करना है।

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि आज ही इस खर्च को वहन करने के संबंध में सहमति पत्र छत्तीसगढ़ सरकार जारी कर रही है। याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि इस मीटिंग के मिनट्स और उक्त पत्र हाईकोर्ट में रिकॉर्ड पर लाए जाएं। जिससे कि वह इस पर भी अपना पक्ष रख सकें। इसे स्वीकार कर हाईकोर्ट ने ऐसा करने के निर्देश राज्य सरकार को जारी किया है।

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