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रायपुर में पंडित प्रदीप मिश्रा ने शिव महापुराण कथा में विवादित बयान देते हुए बच्चों को सांता क्लॉज की टोपी और लाल कपड़े पहनाने पर जताई आपत्ति, सनातन धर्म की मजबूती पर दिया जोर

रायपुर, 26 दिसंबर 2024| प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने रायपुर में शिव महापुराण कथा के दौरान एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने बिना नाम लिए एक धर्म विशेष को लेकर टिप्पणी की. प्रदीप मिश्रा ने बच्चों को लाल रंग के कपड़े और सांता क्लॉज की टोपी पहनाकर उन्हें ‘जोकर’ जैसा बनाने पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि बच्चों को ऐसे कपड़े पहनाने की बजाय उन्हें भारतीय वीरों की ड्रेस पहनानी चाहिए, जैसे कि शिवाजी, महाराणा प्रताप और झांसी की रानी के कपड़े.

दरअसल, पंडित प्रदीप मिश्रा के राजधानी रायपुर के सेजबहार में शिव महापुराण कथा करने आए हुए हैं. वहीं 25 दिसंबर को कथा के दौरान पं.प्रदीप मिश्रा ने भक्तों से कहा कि बहुत सारी दुकानें रायपुर के इन रास्तों में लगी हुई थी. लाल रंग का कपड़ा पहने हुए बच्चों की ड्रेस में पुतला था और उसके ऊपर टोपी थी. बहुत सारे कपड़े बिक रहे थे. कोई कुछ बेच रहा था, कोई कुछ बेच रहा था. हमने हमारे पीएसओ से पूछा कि यह आज क्या बिक रहा है तो उन्होंने कहा, “गुरुजी, आज वो लोग बच्चों को पहनाने के लिए ये चीजें ले रहे हैं”. तब हमने कहा, “बताओ, दुनिया कहां चली गई. अगर भारत की भूमि पर किसी को पहनाना है तो वीर शिवाजी के कपड़े पहनाओ. भारत की भूमि पर पहनाना है तो महाराणा प्रताप के कपड़े पहनाओ. अगर पहनाना है तो अपने बच्चों को वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, या झांसी की रानी अहिल्या बाई बना दो. पर अपने बच्चों को ऐसे कपड़े पहनाकर जोकर मत बनाओ, जिससे उनकी हंसी उड़ जाए.

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उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म की साख को मजबूत करिए. सनातन धर्म की साख को प्रबल बनाइए और सनातन धर्म को मजबूत करने का प्रयास करिए. अपना धर्म छोड़कर किसी दूसरे धर्म में जाकर जूठन मत खाइए. भले अपनी रूखी-सूखी हो, वो खाइए. अपने घर का खाओ, जैसा भी हो. घर की रोटी के आगे कोई रोटी अच्छी नहीं लगती.

तुम कहीं की भी होटल में चले जाओ, फाइव स्टार होटल में चले जाओ, कहीं पर भी घूमने चले जाओ, कितने भी एसी के कमरे में ले लो, कितने भी अच्छे डनलप के गद्दे पर सो लो, 15 दिन, 20 दिन, एक महीने में तुम्हें तुम्हारे घर की याद आएगी. कितनी भी तुम मटर पनीर खा लो, पालक पनीर खा लो, चाहे तुम दुनिया भर की सब्जी खा लो, मगर जो भी हो, तुम्हारा अपना खाना सबसे अच्छा होता है.

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