प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 08 फ़रवरी 2025
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाले में रायपुर पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मास्टरमाइंड देवेंद्र जोशी और उनकी पत्नी झगीता जोशी के गिरोह के 4 और सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इससे पहले पुलिस ने देवेंद्र और झगीता को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस गिरोह ने योजनाबद्ध तरीके से पैनल बनाकर 60 से ज्यादा बेरोजगार युवाओं से करीब 5 करोड़ रुपये की ठगी की थी।
गिरफ्तार आरोपी और उनकी भूमिका
पुलिस के अनुसार, जिन 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, उनके नाम और जिले इस प्रकार हैं:
- नफीज आलम (33 वर्ष) – कोरबा
- हलधर बेहरा (31 वर्ष) – रायगढ़
- सोमेश दुबे (44 वर्ष) – गरियाबंद
- स्वप्निल दुबे (44 वर्ष) – रायपुर (दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, रायपुर की वैगन रिपेयर शॉप में तकनीशियन-I के पद पर कार्यरत)
गिरोह के मास्टरमाइंड देवेंद्र और झगीता जोशी इन चारों के साथ मिलकर बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देते थे। वे दावा करते थे कि उनकी बड़े अधिकारियों से जान-पहचान है और सेटिंग के जरिए नौकरी लगवा सकते हैं। जांच में सामने आया है कि आरोपियों ने फर्जी नियुक्ति पत्र और फर्जी वेरिफिकेशन प्रक्रिया तैयार की थी।
कैसे हुआ खुलासा?
पीड़िता अंजना गहिरवार ने पुलिस को बताया कि फरवरी 2021 में जब वह अपने मौसा-मौसी देवेंद्र जोशी और झगीता जोशी के घर आई थी, तब उन्हें सरकारी नौकरी दिलाने का भरोसा दिया गया। अंजना समेत अन्य लोगों ने इस झांसे में आकर 25-25 लाख रुपये दिए, लेकिन नौकरी नहीं मिली। जब पैसे वापस मांगे गए, तो आरोपियों ने टालमटोल करना शुरू कर दिया।
गिरोह का तरीका
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि इस गिरोह ने बेरोजगार युवाओं को ठगने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए और अपने वाहनों पर ‘छत्तीसगढ़ शासन’ की नेम प्लेट लगाकर भरोसा दिलाते थे।
- आरोपी स्वप्निल दुबे बेरोजगारों की फर्जी वेरिफिकेशन प्रक्रिया करवाता था।
- आरोपियों ने मंत्रालय की फर्जी ईमेल आईडी बनाकर फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किए थे।
- बेरोजगार युवाओं को सरकारी दफ्तरों तक ले जाकर उन्हें ठगने का काम किया जाता था।
पुलिस ने गिरोह को ऐसे दबोचा
गिरोह के मास्टरमाइंड देवेंद्र जोशी और झगीता जोशी की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में स्वप्निल दुबे का नाम सामने आया। पुलिस को जब उसकी गतिविधियों की जानकारी मिली, तो उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया। आगे की जांच में नफीज आलम, हलधर बेहरा और सोमेश दुबे के नाम सामने आए, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
गिरोह के एक अन्य सदस्य विकास शर्मा की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है।
ठगी की रकम कहां गई?
आरोपियों ने ठगी से कमाए पैसों को जमीन, सोना, इलेक्ट्रॉनिक सामान और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया था। पुलिस ने इन संपत्तियों को जब्त कर लिया है।
जब्त संपत्तियां:
- सोना: 4 सिक्के, 1 हार, 1 बिंदिया
- इलेक्ट्रॉनिक सामान: 3 मोबाइल, 2 एसी, 1 फ्रीज, 2 पंखे, 1 होम थिएटर
- वाहन: 1 स्कॉर्पियो, 1 स्कूटी
- नकदी: बैंक खातों में जमा 15 लाख रुपये होल्ड किए गए
- अवैध रूप से खरीदी गई जमीन: सोनपैरी, टेकारी और कमल विहार में खरीदी गई संपत्ति पर रोक
फरार आरोपियों की तलाश जारी
अब तक 20 से अधिक पीड़ितों की पहचान हो चुकी है। पुलिस अन्य फरार आरोपियों की तलाश कर रही है और मामले की गहन जांच जारी है।