प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 07 अप्रैल 2025
छत्तीसगढ़ सरकार ने IPS रजनेश सिंह के खिलाफ चल रही विभागीय जांच को समाप्त कर दिया है। यह कार्रवाई एसीबी-ईओडब्ल्यू द्वारा कोर्ट में पेश की गई क्लोजर रिपोर्ट के आधार पर की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रजनेश सिंह और तत्कालीन डीजी मुकेश गुप्ता पर लगे इंटरसेप्शन और दस्तावेजों की हेराफेरी के आरोप निराधार थे।
क्या था मामला?
साल 2019 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान नान घोटाले में तत्कालीन डीजी मुकेश गुप्ता और आईपीएस रजनेश सिंह पर बिना अनुमति फोन टेपिंग और दस्तावेजों में हेराफेरी के आरोप लगे थे। इसके बाद दोनों अधिकारियों को निलंबित कर गैर-जमानती धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी।
क्लोजर रिपोर्ट में क्या कहा गया?
एसीबी द्वारा कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि इंटरसेप्शन पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ था और बिना अनुमति का आरोप बेबुनियाद है। इसी आधार पर FIR को रद्द करने की सिफारिश की गई।
कैट ने निलंबन को ठहराया था गलत
IPS मुकेश गुप्ता ने निलंबन को चुनौती देते हुए कैट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद सितंबर 2022 में केंद्र सरकार के निर्देश पर उनका निलंबन खत्म कर दिया गया। उसी माह वे रिटायर भी हो गए। इसी तरह IPS रजनेश सिंह ने भी अपने निलंबन के खिलाफ कैट में याचिका दायर की थी, जिसमें कैट ने उनके निलंबन को गलत करार देते हुए बहाली का आदेश दिया था।
अब छत्तीसगढ़ सरकार ने इस मामले में रजनेश सिंह के खिलाफ चल रही विभागीय जांच को भी आधिकारिक रूप से बंद कर दिया है।