प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 12 मई 2025
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर छत्तीसगढ़ के नगरीय निकाय क्षेत्रों में जैव और कृषि अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बायो-सीएनजी संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। रायपुर, भिलाई समेत आठ नगरीय निकायों में इसके लिए जमीन चिन्हांकित कर ली गई है। इन स्थानों पर सार्वजनिक उपक्रम बीपीसीएल और गेल मिलकर लगभग 800 करोड़ रुपये की लागत से प्लांट लगाएंगे।
पिछले 17 अप्रैल को आयोजित कैबिनेट बैठक में इन संयंत्रों की स्थापना हेतु सार्वजनिक उपक्रमों को एक रुपये प्रति वर्गमीटर की रियायती दर पर भूमि लीज पर देने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी कर दिए हैं। बीपीसीएल और गेल को 25 वर्षों की लीज पर प्रति संयंत्र 10 एकड़ भूमि आवंटित की जाएगी।
इन संयंत्रों में जैव अपशिष्ट और कृषि अपशिष्ट का प्रसंस्करण कर बायो-सीएनजी तैयार किया जाएगा। वर्तमान में भारत अपनी सीएनजी जरूरतों का लगभग 46% आयात करता है। सरकार का लक्ष्य बायो-सीएनजी उत्पादन और खपत को बढ़ाकर इस आयात निर्भरता को कम करना है।
क्या है बायो-सीएनजी?
बायो-सीएनजी, जिसे बायो कंप्रेस्ड नेचुरल गैस भी कहा जाता है, जैविक कचरे जैसे पशु अपशिष्ट, खाद्य अपशिष्ट और औद्योगिक कीचड़ से बनती है। इसे एनारोबिक डाइजेस्टर में संसाधित कर उच्च गुणवत्ता की मीथेन गैस प्राप्त की जाती है, जिसका उपयोग वाहनों के ईंधन, घरेलू ऊर्जा, उद्योगों में हीटिंग और बिजली उत्पादन में होता है। इसके साथ एक उच्च गुणवत्ता का तरल उर्वरक भी तैयार होता है।
जल्द शुरू होगी टेंडर प्रक्रिया
नगरीय प्रशासन विभाग के अनुसार चिन्हित आठों स्थानों पर एक माह के भीतर टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी और इसके बाद निर्माण कार्य आरंभ होगा।