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सुप्रीम कोर्ट से अनवर ढेबर को राहत : शराब घोटाले में मिली सशर्त जमानत, अब तक 3 पूरक शिकायतें, 40 गवाह और जारी है ED की जांच

प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 19 मई 2025

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रमुख आरोपी अनवर ढेबर को सशर्त जमानत दे दी है। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने माना कि इस अपराध की अधिकतम सजा 7 वर्ष है और ‘सेंथिल बालाजी बनाम उप निदेशक’ केस के आधार पर यह मामला जमानत के योग्य है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज ईसीआईआर के तहत ढेबर को 8 अगस्त 2024 को गिरफ्तार किया गया था। उनके वकील अर्शदीप सिंह खुराना ने अदालत में दलील दी कि ढेबर पहले ही इसी मामले में 80 दिनों की हिरासत भुगत चुके हैं और अब तक तीन पूरक शिकायतें दाखिल की जा चुकी हैं, जिनमें 40 गवाहों का उल्लेख है।

कोर्ट ने आदेश दिया कि अनवर ढेबर एक सप्ताह के भीतर विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित हों और ED की सुनवाई के बाद उन्हें कठोर शर्तों पर जमानत दी जाए।

ACB की बड़ी कार्रवाई, 13 ठिकानों पर छापेमारी

शराब घोटाले की जांच तेज़ी पकड़ चुकी है। भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो (ACB) ने 17 मई को रायपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों में 13 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की कथित संलिप्तता के बाद की गई।

ACB के मुताबिक, जांच में यह सामने आया है कि तत्कालीन मंत्री लखमा ने आबकारी सिंडिकेट के सदस्यों के साथ मिलकर खुद और अपने सहयोगियों को अवैध लाभ पहुंचाया। उन्होंने काले धन को रिश्तेदारों, दोस्तों और साझेदारों के माध्यम से छिपाकर उसका निवेश करवाया।

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छापेमारी में 19 लाख रुपये नकद, मोबाइल, दस्तावेज, बैंक डिटेल्स और भूमि निवेश से जुड़े कागजात जब्त किए गए हैं। ACB ने बताया कि जब्त सामग्री का विश्लेषण जारी है और जांच प्रक्रिया आगे बढ़ रही है।

ED ने लखमा को किया गिरफ्तार, 2161 करोड़ के घोटाले में आरोपी

इससे पहले, ED ने 28 दिसंबर को लखमा और उनके बेटे हरीश कवासी के ठिकानों पर छापा मारा था। 15 जनवरी को लखमा की गिरफ्तारी हुई और वे अभी रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। ED ने 3773 पन्नों का चालान दाखिल किया है, जिसमें लखमा को 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में सिंडिकेट का प्रमुख बताया गया है।

ED के अनुसार, लखमा ने शराब नीति में बदलाव कर पूरे घोटाले को संरक्षण दिया और विभागीय निरीक्षण की प्रक्रिया को इस तरह बदला जिससे सिंडिकेट को फायदा होता रहे।

जांच के दायरे में कई बड़े नाम, घोटाले का जाल फैला

शराब घोटाले को लेकर अब राज्य की राजनीति गरमा गई है। ACB और EOW की जांचों में 450 गवाह सामने आ चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी आरोप पर संज्ञान नहीं लिया गया है। आने वाले समय में इस मामले में और भी कई बड़े नामों के बेनकाब होने की संभावना है।

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