अलग खबर: रंगीन चूजों का वितरण, ग्रामीण अर्थब्यवस्था को मिलेगी मजबूती, गरीब परिवारों को मिलेगा लाभ, पशुधन विकास विभाग की योजना

Latest

सतीश शर्मा, बलौदाबाजार, 24 अप्रैल

लाॅक डाउन के बावजूद पशुधन विकास विभाग की तमाम योजनाएं पूर्व वर्षों की तरह सुचारू तरीके से चल रही हैं। इस क्रम में बैकयार्ड पोल्ट्री वितरण योजना के अंतर्गत कसडोल विकासखण्ड के आदिवासी बहुल ग्राम राजादेवरी में 50 गरीब परिवारों को मुर्गी के चूजे वितरित किये गये। उप संचालक पशु चिकित्सा विभाग डाॅ. सी.के.पाण्डेय ने फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुये हितग्राहियों को चूजे प्रदान किये। विभाग द्वारा इस साल जिले के 1000गरीब परिवारों को इस योजना से लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। बाकायदा उन्हें चूजों के लालन-पालन एवं देख-रेख संबंधी प्रशिक्षण भी दिया गया। लगभग 3 हजार रूपये मूल्य के 45 रंगीन चूजे चयनित हितग्राहियों को 90 प्रतिशत तक छूट में दिये गये।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में पशुधन विकास विभाग की अहम भूमिका है। विभाग द्वारा ग्रामीण आर्थिक विकास के लिए अत्यंत गरीब तबके के हितग्राहियों के लिए बैकयार्ड योजनांतर्गत इस साल जिले के 1000 हितग्राहियों का चुनाव किया गया है।योजनांतर्गत 28 दिवसीय रंगीन 45 चुजे प्रत्येक हितग्राही को प्रदाय किया जाता है। उन्हें दिये गये चूजे देशी प्रजाति के हैं, जिन्हें विशेष देख-रेख की जरूरत नहीं होती है। प्रत्येक हितग्राही को चुजे के साथ-साथ अंजोला कल्चर भी प्रदाय किया जाता है । अंजोला एक ऐसा कवक है,जो थोडी सी नमी में बहुत जल्दी फैलता है एवं इसमें 40 से 50 प्रतिशत प्रोटीन होता है। पौष्टिक आहार के रूप में मुर्गीयों को अंजोला खिलाने हेतु हितग्राहियो का प्रोत्साहित किया जाता है ।

 

 

 

 

योजनांतर्गत प्रदाय किये जा रहे चुजे में 50 प्रतिशत नर एवं 50 प्रतिशत मादा होती है ।इनका अंडा उत्पादन 60 से 70 प्रतिशत प्रतिवर्ष होता है तथा अंडे से बच्चे सेने की इनमें विशेष क्षमता होती है। इन मुर्गे,मुर्गीयों में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति अधिक होती है, जिससे बीमारी उसमें कम लगती है। हितग्राहियों के यहां मुर्गीयों की निरंतरता बनाये रखने के लिए उनको अंडा उत्पादन हेतु प्रशिक्षण एवं प्रोत्साहन दिया जाता है । चार से छह माह के उम्र में इन मुर्गे-मुर्गियों का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम हो जाता है, तथा इनकी बिक्री दर देशी मुर्गे,मुर्गीयों की तरह बाजार दर के बराबर होती है, जिसके कारण मुर्गे,मुर्गीयां 200 से 300 रूपये प्रति किलो की दर से आसानी से ग्रामीण परिवेश में ही बिक्री हो जाती है । इनको कोई विशेष बाजार की आवश्यकता नहीं होती ।

Share
पढ़ें   CM विष्णुदेव साय की विशेष पहल : बस्तर अंचल में आस्था के केन्द्रों पर होगी हरियाली, 7055 देवगुड़ी-मातागुड़ी और 3455 वन अधिकार मान्यता पत्र स्थलों में होगा वृक्षारोपण