अजय कैवर्त्य
जांजगीर–चाम्पा
जांजगीर चाम्पा जिला ग्रीन जोन में है यहाँ एक भी पॉजिटिव मरीन नही मिले हैं इसके बावजूद कोरोना महामारी से जंग अभी थमा नही है और ना ही प्रशानिक अधिकारियों के फर्ज में कमी आई है। ऐसा ही नजारा बीती रात जांजगीर में देखने को मिला। रात करीब 12:30 बजे बलौदा बाजार से 22 और रायपुर से 8 मजदूर जांजगीर पहुंचे इस दौरान बिजली गुल थी और तेज बारिश हो रही थी सभी मजदूर भूखे प्यासे जांजगीर तक पहुंचे थे, इस बात की सूचना जब एसडीएम मेनका प्रधान और तहसीलदार प्रकाश साहू को मिली तब दोनों ने रात करीब 1:00 बजे सभी को जांजगीर के केरा रोड स्थित आश्रय स्थल में पहुंचाया साथ ही भूखे मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था में लगे मगर इतने लोगों का भोजन बनाने के लिए रात के 1:00 बजे पहले से ही थक चुके रसोईया ने असमर्थता जाहिर की जिसके बाद एसडीएम मेनका प्रधान और तहसीलदार प्रकाश चंद साहू ने कुछ लोगों को साथ लेकर रसोइए की भूमिका निभाते हुए खुद ही भीड़ कर सभी के लिए भोजन तैयार किया और देर रात उन्हें भोजन कराने के बाद आश्रय स्थल में उनके सुव्यवस्थित रुकने की व्यवस्था की सारी व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने के पश्चात सुबह 4:30 बजे यह दोनों अधिकारी अपने घर पहुंचे। जिला प्रशासन के इन दोनों अधिकारियों की भूमिका की सभी मजदूरों ने तारीफ की।
आज मजदूरों का होगा मेडिकल चेकप, खतरे से जूझ रहे अधिकारी- कर्मचारी
बीती रात 12:30 बजे भारी बारिश के दौरान जांजगीर पहुंचे इन सभी मजदूरों को पहली प्राथमिकता भोजन कराने की थी क्योंकि इतनी रात को मेडिकल स्टाफ को आश्रय स्थल बुलाना मुमकिन नहीं था जिसकी वजह से एसडीएम मेनका प्रधान और तहसीलदार प्रकाशन साहू ने पहले इनके भोजन और आवास की व्यवस्था की खुद को सुरक्षित रखने की भी समस्या इन के सामने थी मगर कर्तव्य का पालन भी जरूरी था जिसकी वजह से इन्होंने पहले मजदूरों के भोजन और आवास की व्यवस्था को पर प्राथमिकता दी। आज सभी मजूदरों का कराया जाएगा मेडिकल। जिसके बाद उन्हें उनके गंतव्य स्थल के लिए रवाना किया जाएगा।
मेनका प्रधान एसडीएम जांजगीर
“देर रात मजदूरों के जांजगीर पहुँचने की सूचना मिलने पर उनके रहने खाने का प्रबंध आवश्यक था, सभी को देर रात भोजन कराने के बाद बालक छात्रावास में ठहराया गया है। आज सभी का मेडिकल कराया जाएगा।”
प्रकाश साहू तहसीलदार जांजगीर
” रात करीब 1:00 बजे सभी के लिए एसडीएम मैडम और मैंने मिलकर भोजन तैयार किया है क्योंकि रसोइए थके हुए थे और इतनी रात भोजन बनाने के लिए सहमत नहीं हो रहे थे तब हमने मिलकर भोजन तैयार किया और भूखे प्यासे मजदूरों को भोजन कराकर बालक छात्रावास में उनके रुकने की व्यवस्था की है।”