सतीश शर्मा, बलौदाबाजार, 30 अप्रैल
लॉक डाउन में मिली छूट का कुछ ग्रामीण नाज़ायज फायदा उठाने में लगे है। इस दौरान हरे-भरे पेड़ों को काटने और बेज़ा कब्ज़ा करने पर उतारू हो गये है। कसडोल तहसील के ग्राम मड़कडा से मिली ऐसे ही एक शिकायत को कलेक्टर कार्तिकेया गोयल ने अत्यंत गंभीरता से लिया है। उन्होंने हरे पेड़ काटने के लिए दोषी वर्तमान और पूर्व सरपंच सहित ग्रामीणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा है।
गौरतलब है कि मड़कडा पेड़ कटाई मामले की शिकायत मंत्रालय, रायपुर में हुई है। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा है। इस सिलसिले में एसडीएम कसडोल टेकचन्द अग्रवाल ने आज मड़कडा का दौरा किया। उन्होंने बताया कि गांव की सरकारी घास भूमि से हरे-भरे बबूल के पेड़ों की कटाई की गई है। लगभग सप्ताह भर पहले करीब 52 बबूल के पेड़ काट डाले गए हैं। ग्रामीणों ने लकड़ी बेचने के नियत से इन पेड़ों को बेदर्दी से काट डाला। जांच में पूर्व वर्षों में भी इसी तरह पेड़ों को काटे जाने का मामला सामने आया। इनके ठूंठ अभी भी स्थल पर मौजूद हैं। ग्रामीणों द्वारा बिना कलेक्टर की अनुमति के केवल बेचने के नियत से वृक्षों को काट डालना लोक सम्पति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 और भारतीय दण्ड संहिता 1860 की विभिन्न धाराओं के उल्लंघन है।
मड़कडा पेड़ कटाई मामले में वर्तमान सरपंच जितेंद्र कैवर्त, बनसराम चौहान, दयालप्रसाद रावत, खूबलाल साहू,धरमलाल साहू, सुरेंदर साहू तथा पूर्व सरपंच राम गोपाल यादव प्रारंभिक रूप से दोषी पाये गए हैं। पूर्व सरपंच के कार्यकाल में काटे गये पेड़ों के ठूंठ अभी भी मौजूद हैं। कार्रवाई के लिये इन्हें भीआधार बनाया गया है। कलेक्टर गोयल के निर्देश पर पटवारी चन्द्र प्रकाश पैकरा एवं गांव के कोटवार के विरुद्ध भी कार्रवाई करते हुए शो-कॉज़ नोटिस जारी किए हैं। इतने बड़े पैमाने पर अवैध काम होने के बाद भी उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना नहीं दी। कलेक्टर ने सभी राजस्व अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में दौरा तेज़ करने कहा है। उन्होंने अवैध कब्जा, हरे पेड़ों की कटाई समेत अवैध गतिविधियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।