भूपेश टांडिया
रायपुर 27 मार्च 2021
राजधानी में कोरोना वैक्सीनेशन की रफ्तार भले ही कुछ धीमी है, लेकिन एडवर्स इफेक्ट कमेटी (साइड इफेक्ट की मानीटरिंग कमेटी) की रिपोर्ट के मुताबिक जितने लोगों को टीके लगे, उनमें से केवल 0.05 फीसदी लोगों में ही साइड इफेक्ट नजर आए हैं। इनमें कोविशील्ड और कोवैक्सीन, दोनों तरह के टीके हैं।
राजधानी में अब तक 1.02 लाख लोगों को दोनों तरह के टीको के लगभग दो डोज लग गए हैं और 120 लोगों ने टीके के बाद हल्के बुखार या बदन दर्द की शिकायत की थी, जो अधिकतम 24 घंटे में दूर भी हो गई।
प्रदेश में 15 लाख लोगों को टीके लगे हैं, जिनमें सब मिलाकर 700 लोगों में ही साइड इफेक्ट नजर आया है। बढ़ते कोरोना संक्रमण की वजह से टीकाकरण जरूरी माना जाने लगा है, इस वजह से भी एडवर्स इफेक्ट कमेटी ने यह रिपोर्ट जारी की है, ताकि लोग आश्वस्त रहें कि कोविशील्ड या कोवैक्सीन, दोनों ही पूरी तरह सुरक्षित हैं।
कोरोना वैक्सीन लगवाने के 36 से 72 घंटे के भीतर 8 मौतें रिपोर्ट हुई हैं। एडवर्स इफेक्ट कमेटी के अलावा अलग-अलग स्तर पर इन सभी मामलों की जांच हो चुकी है और किसी भी मामले में मेडिकली या क्लीनिकली यह प्रमाणित नहीं हो पाया कि मौत का कारण वैक्सीन थी। पहला या दूसरा टीका लगवाने के बाद अब तक आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक आधा दर्जन लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इनमें भी राजधानी में केवल एक ही है, इसलिए माना जा रहा है कि जितने लोगों ने टीके लगवाए हैं, दो डोज के बाद उनमें से ज्यादातर में एटीबाॅडी बनने लगी होगी।
साइड इफेक्ट नहीं के बराबर – डॉ. निर्मल वर्मा, प्रमुख-एडवर्स इफेक्ट कमेटी
ऐसे लोग जो टीका लगवाने के बाद प्रतिकूल प्रभाव की जद में आए हैं, उनकी तादाद 700-800 के ही लगभग है। प्रदेश में 15 लाख से ज्यादा टीकाकरण के आंकड़ों की तुलना में देखे तो ये संख्या 0.05 प्रतिशत के करीब है। यानी पहली बात ये कि बिना किसी चिंता के टीका लगवा ही लें। प्रदेश में अभी तक कोविशील्ड वैक्सीन ही ज्यादा लगी हैं। इसलिए स्वाभाविक तौर पर इसी के एडवर्स इफेक्ट वाले मामले भी ज्यादा हैं। दरअसल वैक्सीन लगाने के बाद किसी भी व्यक्ति के शरीर मेंं एंटीबॉडी किस तरह की बनेगी, ये उस शख्स के शरीर पर निर्भर करता है।
यही नहीं, वायरस में भी म्यूटेशन होता रहता है। इसलिए अगर टीके के बाद कोई व्यक्ति संक्रमित हुआ तो इसका सीधा मतलब है कि उसके शरीर में एंटीबॉडी सही तरीके से नहीं बन पाई। किसी भी टीके से 100 प्रतिशत प्रोटेक्शन कभी नही मिलता है, इसलिए एहतियात भी जरूरी है।
टीके के बाद गंभीर संक्रमण नहीं – डॉ. स्मित श्रीवास्तव, एचओडी-एसीआई
टीके और संक्रमण से सुरक्षा को हेल्थ साइंस के नजरिए समझना होगा। वैक्सीन लगाने के बाद हमारे शरीर में एंटीबॉडी एक आर्मी की तरह काम करती है। कई बार आर्मी रिस्पॉंस नहीं कर पाती है, और संबंधित व्यक्ति पॉजिटिव आ जाता है। दरअसल, वैक्सीन सबसे पहली सुरक्षा इस बात की देता है कि संक्रमण अगर हुआ भी तो वो गंभीर श्रेणी का नहीं होगा। यानी मौत से बचाव तो हो जाएगा। मेरे दो मरीजों में से एक को टीका लगवाने के बाद बुखार आया। ऐसा उसके साथ 5-6 दिन चला। मैंने उसे कोरोना जांच करवाने की सलाह दी, वो पॉजिटिव निकला।
इसी तरह एक और मरीज को भी 5-6 दिन के अंदर ही संक्रमण निकल गया। एंटीबॉडी बनने में कम से 3 से 6 सप्ताह तक लग सकता है। दरअसल, टीके लगवाने के बाद कोमॉर्बिडिटी से मौत की आशंका भी बहुत कम हो जाती है, इसलिए जिनकी बारी आ रही है उनको टीका जरूर लगवाना चाहिए।