प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 15 अप्रैल 2021
एक तरफ प्रदेश में कोरोना के बढ़ते आंकड़े और दूसरी तरफ सरकारी इंतजामों की खुलती पोल । यह बताने के लिए काफी है कि प्रदेश में कोरोना का कितना कोहराम मचा हुआ है । प्रदेश के अनेक इलाकों से तस्वीर आ रही है जो बता रही है कि प्रदेश में मरीज और मरीज के परिजन परेशान है । ताजा मामला सूबे के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मेकाहारा की है जहां के दवाई दुकान को 24 घंटे खुली रहने की बात तो की गई थी मगर वो भी बंद मिली । एक तरफ कोरोना मरीज के परिजन रेमेदडेसिविर दवाई के लिए चिल्लाते रहे और दूसरी तरफ दुकान बंद मिला ।
आपको बताते चले कि प्रदेश के हर जिले में रेमडेसिविर नाम के इंजेक्शन की भारी क़िल्लत है। कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए ये दवा जान बचाने वाली मानी जा रही है। मगर रायपुर के किसी मेडिकल स्टोरी में ये दवा नहीं मिल रही। सरकार ने कालाबाजारी रोकने के लिए अंबेडकर अस्पताल की रेड क्रॉस दवा दुकान को इसे बेचने के लिए अधिकृत किया। 24 घंटे से दुकान में भी स्टॉक नहीं है। रात भर मरीज के परिजन बाहर खड़े मिन्नतें करते रहे, कहते रहे कि दवा दे दो वरना आदमी मर जाएगा, मगर न दवा मिली न किसी जिम्मेदार ने अब तक इनकी सुध ली। ये सभी उन मरीज के परिजन हैं जो अंबेडकर अस्पताल के कोविड वार्ड में इलाज के लिए भर्ती किए गए हैं।
9100 दवाएं आईं मगर कहां गईं
कुछ दिनों पहले कांग्रेस ने कहा था कि छत्तीसगढ़ सरकार ने मंगलवार को मरीजों के लिए 9100 रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया करवाई है। इसके बाद भी स्टॉक की समस्या बनी हुई है। रायपुर शहर में हर मेडिकल स्टोर और अस्पताल में लोग रेमडेसिविर के लिए भटक ही रहे हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 900 रुपए में मिलने वाली इस दवा के लिए मुनाफाखोर 15 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं। अब हालत ये है कि लोग मोटी रकम चुकाने को तैयार हैं मगर अब कालाबाजारी में भी दवा मिलना मुमकिन नहीं हो पा रहा।