लीगल रिपोर्टर, बिलासपुर | 12 जून 2021
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने केवल शिकायत के आधार पर सम्बंधित व्यक्ति को थाने बुलाने के मामले में ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उच्च न्यायालय के जस्टिस संजय के अग्रवाल ने एक मामले के दौरान महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि आपराधिक प्रकरण दर्ज करने से पहले पुलिस किसी भी अनावेदक को बार-बार थाना नहीं बुला सकती। कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 91 प्रारंभिक जांच में लागू नहीं होगी।
दरअसल, बिलासपुर के सरकंडा थाने की पुलिस जमीन विवाद के मामले में स्कूल संचालक की शिकायत पर अनावेदक को बार-बार उन्हें थाने बुलाकर परेशान कर रही थी। इस पर उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने ये विशेष टिप्पणी की है।
दरअसल छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट आफ एजुकेशन बोर्ड के डायरेक्टर ने जमीन विवाद को लेकर राजेश्वर शर्मा के खिलाफ सरकंडा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें राजेश्वर पर आरोप लगाया गया कि उनकी जमीन में कब्जा कर लिया है। इस शिकायत के आधार पर सरकंडा पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और इस बहाने दंड प्रक्रिया संहिता के बहाने धारा 91 के तहत राजेश्वर शर्मा को नोटिस जारी कर थाने बुलाया गया। राजेश्वर ने प्रकरण में अपना बयान दर्ज करा दिया। साथ ही उन्होंने अपनी जमीन के दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। बावजूद इसके पुलिस उन्हें बार-बार थाने बुलाकर परेशान करती रही और उन पर पुलिसिया दबाव बनाकर प्रताड़ित करती रही। जिसपर राजेश्वर ने बड़ा स्टेप लेकर याचिका लगाने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
इसमें बताया कि पुलिस बिना रिपोर्ट दर्ज किए उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के तहत नोटिस जारी कर बार-बार थाने बुला रही है। उनका आरोप था कि पुलिस धारा 91 का दुरुपयोग रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि बिना रिपोर्ट दर्ज किए पुलिस धारा 91 की नोटिस कैसे जारी कर सकती है।
ऐसे में इस प्रकरण की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमत होकर कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 154 के अंतर्गत रिपोर्ट के पूर्व प्रारंभिक जांच में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 लागू नहीं होगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस तरह से नोटिस देकर थाने बुलाने पर ऐतराज भी जताया है। ऐसे में हाईकोर्ट ने ये ऐतिहासिक टिप्पणी की है।
क्या है दंड प्रक्रिया की धारा 91?
जब कभी कोई न्यायालय या पुलिस थाने का कोई भारसाधक अधिकारी यह समझता है कि किसी ऐसे अन्वेषण, जांच, विचारण, या अन्य कार्यवाही के प्रयोजनों के लिए, जो इस संहिता के अधीन ऐसे न्यायालय या अधिकारी के द्वारा या समक्ष हो रही है, किसी दस्तावेज या अन्य चीज का पेश किया जाना आवश्यक या वांछनीय है तो जिस व्यक्ति के कब्जे या शक्ति में ऐसी दस्तावेज या चीज के होने का विश्वास है उसके नाम ऐसा न्यायालय एक समन या ऐसा अधिकारी एक लिखित आदेश उससे यह अपेक्षा करते हुए जारी कर सकता है कि उस समन या आदेश में उल्लिखित समय और स्थान पर उसे पेश करे अथवा हाजिर हो और उसे पेश करे।