भूपेश टांडिया
रायपुर 13 अक्टूबर 2021
बस्तर के सिलगेर में पुलिस की गोली से आदिवासियों की मौत पर एक बार फिर सियासत शुरू हो गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कोंडागांव से पदयात्रा करके दंतेवाड़ा पहुंचे। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने नक्सलियों के दबाव में सिलगेर के पुलिस गोली में मृत आदिवासी किसानों द्वारा मुआवजा नहीं लेने संबंधी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम के बयान को बचकाना और हास्यास्पद बताया है। साय ने कहा कि तुच्छ राजनीतिक स्वार्थों के लिए अपनी व्यक्तिगत संपदा मानकर प्रदेश का खजाना दूसरे प्रदेश में लुटाती प्रदेश सरकार का ऐसा शर्मनाक बचाव करने का संभवत: यह पहला उपक्रम छत्तीसगढ़ में हुआ है।
मरकाम को अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री से कम से कम यह तो पूछना ही चाहिए था कि आखिर प्रदेश का खजाना उत्तर प्रदेश में किस मद के तहत लुटा रहे हैं? साय ने पूछा, मरकाम बताएं कि अगर प्रदेश सरकार सचमुच आदिवासी किसानों को मुआवजा देती तो नक्सलियों की क्या बिसात कि वे प्रदेश सरकार के काम में आड़े आएं? क्या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यह मानते हैं कि प्रदेश सरकार नक्सलियों की इच्छा से संचालित हो रही है? क्या नक्सलियों के सामने प्रदेश सरकार आत्मसमर्पण की मुद्रा में घुटनों पर रेंगने को मजबूर है?
साय ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष कहीं यह तो नहीं कहना चाहते कि प्रदेश सरकार और अंदर वाले नक्सली मिली-जुली नूरा-कुश्ती करते हुए प्रदेश में अपने-अपने सत्ता-केंद्रों का बंटवारा कर लिया है कि अंदर तुम संभालो और बाहर हम संभालते हैं। नक्सलियों और कांग्रेस के लोगों का दोस्ताना तो कई मौकों पर जगजाहिर होता आया है, लेकिन इस दोस्ताने को जिस तरह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मरकाम ने परिभाषित किया है, उस बयान की शायद ही कोई और मिसाल देखने-सुनने को मिली हो।
प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने बेरोजगार युवाओं द्वारा इंटरनेट मीडिया में जारी एक तस्वीर को ट्वीट करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार युवाओं को लेकर कितनी चिंतित है कि अब बेरोजगार युवा नक्सलवाद के रास्ते जाने का प्रण ले रहे हैं। इससे दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता। सत्ता में आने के नाम पर कांग्रेस ने न जाने कितने वादे किए होंगे, वे वादे कांग्रेस के नेताओं को भी पता नहीं होगा।
जंगल बचाने सरगुजा से चली ‘हसदेव बचाओ यात्रा’ आज पहुंचेगी राजधानी उन्होंने कहा कि 2500 रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता देने के नाम पर इन 32 महीनों में भी प्रदेश सरकार ने कुछ भी नहीं किया। प्रदेशभर के अतिथि शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया गया। इसके साथ ही कई कर्मचारी संगठन के लोग अपनी मांगों को लेकर धरनारत हैं। मुख्यमंत्री बघेल केवल प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी की जी हुजूरी में लगे हुए हैं। पीसीसी का मतलब प्रदेश करेंसी कांग्रेस हो गया है, जिसके माध्यम से करेंसी की आपूर्ति दूसरे राज्यों में किया जा रहा है।