प्रमोद मिश्रा
रायपुर, 06 मार्च 2022
छत्तीसगढ़ में किसानों की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा 08 मार्च को विधानसभा का घेराव करने वाली है । छत्तीसगढ़ किसान मोर्चा संघ ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार किसानों की जमीन को उनके अनुमति के बिना उद्योग पतियों को दे रही है और अपने निजी फायदे के लिए किसानों को उनकी जमीन से बेदखल भी कर रहे हैं ।
राज्य आंदोलनकारी के अध्यक्ष अनिल दुबे ने कहा कि सरकार किसानों को उद्योग के ज्यादा कीमत पर बिजली दे रही है । अनिल दुबे ने कहा कि उद्योगों को तो सरकार 5 रुपये 78 पैसे प्रति यूनिट में बिजली दे रही है लेकिन वहीं किसानों को 5 रुपये 83 पैसे में बिजली देकर किसानों को झटका दे रही है ।
छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा संघ के पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर कहा कि छत्तीसगढ़ में उद्योग नीति नहीं होने का लाभ बाहरी उद्योगपति और स्थानीय उद्योगपति लामबंद होकर उठा रहे हैं। आप इसी से अंदाज लगा सकते हैं कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार उद्योगपतियों के साथ सांठगांठ से उद्योगों को 5.78 रू. प्रति यूनिट बिजली दे रही है और वहीं किसानों को 5.83 रू. प्रति यूनिट, ये है कांग्रेस सरकार का किसान प्रेम। महासमुंद जिला, बेमेतरा जिला, बेरला क्षेत्र, बलौदाबाजार के कृषि भूमि काबिज कास्त भूमि, वन भूमि शासकीय भूमि में उद्योग लगाने के लिए एम.ओ.यू. कर भूपेश सरकार ने देश के आधा दर्जन राज्यों में होने वाले चुनाव के चंदा के लिए छत्तीसगढ़ के किसानों को खाई में ढकेलने का काम किया है। लगभग सैकड़ों एम.ओ.यू. छत्तीसगढ़ शासन ने किया है। जिसके चलते उद्योगपति सीना तानकर किसानों का शोषण करने निकल पड़े हैं। छत्तीसगढ़ के दो क्षेत्रों में किसान आंदोलन कर रहा है एक नया रायपुर का किसान आंदोलन लगभग 18 वर्ष से लगातार शनैः शनैः चल रहा है। आज प्रदेश एवं राष्ट्र स्तर पर पहुंचा है। मोहम्मद अकबर मंत्री किसानों की मांग पूरी हो गई झूठी बात पत्रकारों से कहे, उसका खण्डन उसी समय आंदोलनकारी किसानों ने किया है। ऐसे झूठी सरकार किसानों की सरकार कहला ही नहीं सकती। यह बात बताना आवश्यक होगा कि कांग्रेस के काबिल युवराज नेता श्री राहुल गांधी ने किसानों के लिए देश में कांग्रेस की सरकार के रहते हुए काबिज कास्त कानून और मुआवजा के लिए जो रणनीति अपनाई थी उसका लाभ किसानों को मिला है। परन्तु कांग्रेस की सरकार अपने ही राहुल गांधी के कार्बिज कास्त किसानों की भूमि को उद्योगपति खरीदकर उद्योग लगाने की चेष्टा में हैं। यह जान लें काबिज कास्त अर्थात् भूमिहीन किसानों को किसानी के लिए शासन द्वारा एक एकड़, डेढ़ एकड़, दो एकड़ तक की भूमि दी जाती है। यह भूमि किसान किसानी कर अपने जीवन चलाने के लिए उपयोग कर सकता है और अगर उपयोग नहीं कर सकता है तो शासन को वापस हो जाती है परन्तु भूपेश सरकार में महासमुंद जिले के ग्राम खैरझिटी, मालीडीह, कौआझर, गुरुडीह, कुकराडीह, जैसे गाँवों की काबिज कास्त भूमि बिहार के उद्योगपति अशोक चौधरी, राजकमल सिंघानिया, करणी कृपा प्रा.लि. के नाम से खरीद लिये हैं। विगत् 12 दिनों से हाईवे में किसान आंदोलन चल रहा है। कांग्रेस विधायक उद्योगपति के साथ हैं, मतदाता सड़क में हैं। किसानों का पानी उद्योग को देने की साजिश सरकार ने कर रखी है। बिजली सस्ती, किसानों का पानी उद्योगपतियों को गरीबों के जीवनयापन की भूमि उद्योगपतियों को ये है कांग्रेस की किसान नीति अब बताईये कि छत्तीसगढ़ में किसानों की सरकार कि उद्योगपति धन्नासेठों की सरकार है। मुख्यमंत्री कहते हैं ई.डी. सी.बी.आई. केन्द्रीय छापा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मंत्रियों के यहां पड़ेगा। यह डर स्वभाविक है। जनता और व्यवस्था सबको रिकार्ड करती है। समय रहते कांग्रेस सुधर जाये। छत्तीसगढ़ में भाजपा तो है ही नहीं । 15 साल में इतना खाया अजगर सांप की तरह लोट-लोटकर पचा नहीं पा रहे हैं। भाजपा ने गड्ढा खोदा था किसानों के लिये, कांग्रेस ने खाई बना दी।