राम गमन वन पथ : रामनवमी के दिन दूसरा स्थल शिवरीनारायण में खुलेगा, भगवान श्रीराम जी की बड़ी प्रतिमा भी लगेगी, CM भूपेश करेंगे उद्घाटन

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 28 मार्च 2022

छत्तीसगढ़ में सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है साथ ही भगवान श्रीराम जी की छत्तीसगढ़ में जहां – जहां पैर पड़े हैं वहां राम वन गमन पथ के माध्यम से लोगों को भगवान की महिमा भी बताने में लगी है । छत्तीसगढ़ में राम वनगमन पथ के तहत विकसित किए जा रहे स्थलों की दूसरी साइट शिवरीनारायण अप्रैल में नवरात्रि के दौरान लोगों को समर्पित की जाएगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रामनवमी के अवसर पर 10 अप्रैल को इसका लोकार्पण करने वाले हैं। छत्तीसगढ़ में चंद्रखुरी के बाद ये दूसरा स्थल होगा, जिसे पर्यटन विभाग सौंदर्यीकरण के बाद लोगों के लिए खोलने जा रहा है।

 

 

 

जांजगीर-चांपा जिले की ये धरोहर स्थल शबरी माता की जन्मस्थली है। यहां 12वीं सदी के प्राचीन मंदिर भी हैं। रायपुर, दुर्ग और जांजगीर-चांपा में 200 से ज्यादा कलाकार और कारीगर राम वनगमन पथ के इस साइट के काम को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं।

मतंग ऋषि के आश्रम, जहां रुके थे भगवान राम

राजधानी रायपुर से करीब 130 किमी और बिलासपुर से करीब 64 किमी दूर है ये स्थान। याज्ञवल्क्य संहिता के अनुसार शिवरीनारायण की गणना तीर्थराज प्रयाग के रूप में होती है। भारत के उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथ धाम, पश्चिम में द्वारकापुरी और मध्य में छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण को पांचवा धाम माना जाता है। भगवान राम वनवास के दौरान मांड नदी मार्ग से चंद्रपुर और फिर महानदी मार्ग से शिवरीनारायण पहुंचे थे। शिवरीनारायण के नजदीक ही उन दिनों मतंग ऋषि का आश्रम था। श्रीराम ने इस आश्रम में कुछ समय बिताया था।

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लोकमान्यता: शबरी ने भगवान श्रीराम को यहीं खिलाए थे जूठे बेर

शिवरीनाराणयण मठ के महंत और राज्य गौसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास के अनुसार शिवरीनारायण शबरी माता का जन्म स्थान है। उनके पिता जब उनकी शादी करने वाले थे, उस दौरान शबरी कर्नाटक चली गई थी। वहीं उन्होंने भगवान राम को जूठे बेर खिलाए थे।

हालांकि छत्तीसगढ़ में प्रचलित लोक मान्यता अनुसार माता शबरी ने भक्तिस्वरूप भगवान राम को शिवरीनारायण में जूठे बेर खिलाए थे। यहां आज भी बेर का प्रसाद चढाया जाता है। शिवरीनारायण के मुख्य मंदिर परिसर में स्थित दोने के आकार की पत्तियों वाला दुर्लभ कृष्णा वटवृक्ष है। संयोगवश चित्रकूट, उत्तर प्रदेश में भी यह है।

तीन प्रवेश द्वार होंगे

पहले चरण में करीब 5.76 करोड़ में मंदिर परिसर में सौंदर्यीकरण, रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर समेत कई काम हो रहे हैं। 8 से 10 अप्रैल के बीच रामायण स्पर्धा होगी। यहां 3 प्रवेश द्वार, भगवान राम की पत्थर की बड़ी प्रतिमा, लाइट एंड साउंड शो जैसे कार्यों का भूमिपूजन होगा।

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