प्रमोद मिश्रा
खैरागढ़, 10 अप्रैल 2022
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ विधानसभा चुनाव के प्रचार का आज अंतिम दिन है । कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत इस उपचुनाव में झोंक दी है । कांग्रेस से खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला है । भूपेश कैबिनेट के सभी मंत्रियों के साथ सभी विधायकों की ड्यूटी भी खैरागढ़ विधानसभा में लगाई गई है । वहीं बीजेपी भी इस बार खैरागढ़ चुनाव को लेकर पूरी तैयारी के साथ उतरी और राज्य के बड़े नेताओं के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल के साथ केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने भी खैरागढ़ में बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया ।
खैरागढ़ में इस बार का मुकाबला भी इसलिए दिलचस्प है क्योंकि पिछली बार जब 2018 के विधानसभा चुनाव हुए थे तो कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी और उसे 30,000 वोट ही मिला था जबकि विजयी प्रत्याशी को 60 हज़ार से ज्यादा मत मिले थे । बीजेपी के प्रत्याशी सिर्फ 870 वोटों से चुनाव हार गए थे । बीजेपी ने फिर एक बार 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे कोमल जंघेल को ही अपना उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी यशोदा वर्मा को चुनाव मैदान में उतार कर महिलाओं का वोट अपने पाले में करने का प्रयास किया है ।
मीडिया24 न्यूज़ की टीम ने खैरागढ़ के छोटे-छोटे गांव से लेकर शहरी क्षेत्रों में भी यह जाकर जानने का प्रयास किया कि आखिर जनता का मूड क्या है? खैरागढ़ के क्षेत्रों में रिपोर्टिंग के दौरान यह बात सामने आई कि मुकाबला दिलचस्प हैं क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के बजाय इस बार दोनों पार्टियां चुनावी मैदान में हैं । रिपोर्टिंग में यह बात सामने भी आई की बीजेपी पहले खैरागढ़ में आगे चल रही थी लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा जिस पर उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के 24 घंटे के भीतर जिला बना दिया जाएगा साथ ही 2 तहसीलों की सौगात और आत्मानंद विद्यालय की सौगात देने की बात खैरागढ़ के मतदाताओं के मन में बैठ गई है और यहीं से माहौल में बदलाव की शुरुआत भी खैरागढ़ में देखने को मिली है ।
खैरागढ़ के कुछ जागरूक मतदाताओं का कहना था कि अगर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जिला बनाने की घोषणा नहीं करते, तो हो सकता था की बीजेपी की जीत सुनिश्चित होती है लेकिन जिला बनाने की घोषणा के बाद मुकाबला काफी दिलचस्प हो चुका है । वही कुछ लोगों ने यह भी बताया कि रमन सिंह के भांजे को टिकट नहीं देने से बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है हालांकि विक्रांत सिंह लगातार अपने प्रभाव वाले जगहों पर चुनाव प्रचार कर रहे हैं लेकिन कई लोग बताते हैं कि जब विक्रांत सिंह को टिकट नहीं मिला तो उनकी आंख से आंसू भी आ गया था । अब देखना होगा कि विक्रांत सिंह को टिकट नहीं मिलने का कितना नुकसान बीजेपी को उठाना पड़ सकता है?
बीजेपी और कांग्रेस के प्रत्याशियों के साथ बड़े और छोटे नेता के साथ कार्यकर्ता भी खैरागढ़ में चुनाव प्रचार में जुट गए हैं । खैरागढ़ में अभी त्यौहार जैसा माहौल है क्योंकि प्रचार में इस बार छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों की प्रस्तुति खैरागढ़ की जनता को देखने को मिल रही है । वही नेताओं के बड़े – बड़े भाषण और मजेदार भाषण सुनने को मिल रहा है । अब 12 तारीख को होने वाले मतदान में यह बात तय होगी कि जनता किसे अपना वोट देती है और जब 16 अप्रैल को चुनाव के परिणाम आएंगे तो यह तय हो जाएगा कि खैरागढ़ नया जिला बनने वाला है कि नहीं? क्योंकि अगर कांग्रेस की जीत होती है तो खैरागढ़, छुईखदान और गंडई को संयुक्त जिला बनाया जाएगा और अगर कांग्रेस प्रत्याशी की हार होती है तो फिर जिले के लिए अभी खैरागढ़ वासियों को इंतजार ही करना पड़ेगा ।