शिवरीनारायण धाम से लौटकर प्रमोद मिश्रा
मां शबरी धाम, शिवरीनारायण। आप लोगों ने इस जगह के बारे में वर्षों से सुना होगा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बसा शिवरीनारायण। कुछ दिनों से सरकार के राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना को पढ़ते शिवरीनारायण फिर से सुनने, पढ़ने मिल रहा है। ऐसे में एक पत्रकार के रुप में उत्सुकता का भाव लिए पावन शिवरीनारायण धाम जाना स्वाभाविक था। फिर क्या निकल गया प्रभु श्रीराम के पावन स्मृतियों के भाव को अपनी अंतरात्मा से जोड़ने, कुछ नया जानने, कुछ नया सीखने…जो मैने देखा, आज जस का तस आपसे साझा करुंगा। तो चलिए चलते हैं…त्रिवेणी संगम पर बसे शिवरीनारायण में तृप्त होने….
रायपुर से निकलते समय मन में अनेक तरह की छवि जीवंत हो रहीं थीं…मां शबरी और उनके पावन धाम शिवरीनारायण को लेकर।
वैसे भी हममें से अधिकतर लोगों ने रामानंद सागर के ‘रामायण’ में जिन शबरी माता को देखा है, अपने प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के आगमन को लेकर कुटिया पहुंचने का मार्ग सजाती माता शबरी को। तो स्वाभाविक है उनके पावन धाम पहुंचने पर इस तरह की अभिलाषाओं का ज्वार भाटा उमड़ना।
रायपुर से बलौदाबाजार और फिर कसडोल, कटगी पार करते लगभग ढाई तीन घंटे के सफ़र के बाद हम भी पहुंच गए, महानदी, जोंक और शिवनाथ की पावन त्रिवेणी संगम पर स्थित शिवरीनारायण धाम। अद्भुत, अलौकिक शिवरीनारायण धाम।
त्रिवेणी संगम पर बने पुल को पार करने के बाद अनेक लोगों से जिज्ञासावश बात हुई, तो लोगों ने बताया कि शिवरीनारायण को छत्तीसगढ़ का जगन्नाथ धाम भी कहा जाता है और इसे छत्तीसगढ़ का गुप्त प्रयाग भी कहते हैं।
लोगों से बात करते ये बात स्पष्ट रुप से उनकी नाराज़गी के रुप में सामने आई कि बीते वर्षों में किसी भी सरकार ने इस पावन धरा को स्वर्णिम पहचान देने और यहां की सुंदरतम इतिहास को देश-दुनिया को बताने प्रयास ही नहीं किया। जिस धरा में दुनिया के रचयिता ने समय गुजारे हों, जिस धरा में भगवान श्रीराम ने माता शबरी के जूठे बेर स्नेहभाव से खाए हों, जिस पावन धाम का वर्णन महाकाव्य रामायण में भी है, उस पावन धाम को भला अब तक कैसे इस तरह प्रचारित, प्रसारित किए बिना रखा गया? मन में मेरे भी अब अनेक प्रश्न पैदा होने लगे थे।
फिर शिवरीनारायण शहर में लगे होर्डिंग्स और रायपुर से आते-आते ये बात पता लग गई थी कि अब छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना शुरू की जा चुकी है। जानकारी के अनुसार ये सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। आयोजन स्थल पर लोगों के बीच जाकर जानकारी मिली कि भगवान राम के वनवास काल की स्मृतियों को संजोने के लिए सर्किट विकसित किया जा रहा है।
जैसे ही आयोजन स्थल पर जाना हुआ तो देखा कि गांव-गांव की मानस मंडलियों द्वारा विभिन्न भजनों, कथाओं को गायन के जरिए लोगों तक सुंदरता के साथ पहुंचाने का खूबसूरत आयोजन हो रहा है। आयोजन में हज़ारों की संख्या में आसपास के गांवों के लोग दिखाई दिए। उनसे बात किया, तो सबने सरकार द्वारा इस पावन शिवरीनारायण धाम में मौजूदा सरकार के इस अभिनव प्रयास की भूरीभूरी प्रशंसा की और ये स्वाभाविक भी था, जब आप त्रिवेणी संगम किनारे बैठकर एकटक नदियों को निहारें, दूसरी ओर मंच में प्रस्तुति देते कलाकारों के उत्साह को भांपें, ग्रामीणों के मन में आयोजन और इस अद्भुत प्रयास को लेकर उत्साहित उत्सुकता को पढ़ें, तो ये बात दिमाग में आ ही जाती है कि भला पिछली सरकारों ने इस ओर भला क्यों ध्यान नहीं दिया?
मीडिया से बात करते हुए विधानसभा के अध्यक्ष डॉक्टर चरणदास महंत, राजेश्री महंत रामसुंदर दास ने पूरे उत्साह के साथ इस आयोजन की सराहना की। विस अध्यक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने मानस मंडलियों को अवसर देने के इस आयोजन को सराहा।
अपनी टीम के साथ इस जगह को निहारते मन नहीं भर रहा था। बल्कि इस स्थान को लेकर उत्सुकता बढ़ती जा रही थी, मेरी भी और रायपुर से आई मेरी टीम के प्रत्येक सदस्य की भी।
अगले दिन राज्य के मुख्यमंत्री और इस ऐतिहासिक आयोजन को मूर्त रुप देने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का यहां आना होने वाला था। अगले दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आए। उन्होंने इस महत्वाकांक्षी योजना के बारे में विस्तृत रुप से बताया। कार्यक्रम में मौजूद हजारों लोगों को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के सीएम बघेल ने कहा कि भगवान राम छत्तीसगढ़ के लोगों के दिल में निवास करते हैं।
उन्होंने इतिहास का उल्लेख करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा में भगवान राम का गहरा महत्व है। इसका मुख्य कारण यह है कि छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए, राम न केवल एक आस्था है, बल्कि वे आदर्श भी हैं। उनके साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ स्थानीय लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था।
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में इस नवनिर्मित मंदिर परिसर में तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विभिन्न मंडलों द्वारा मानस गायन और रामचरित मानस का पाठ हुआ।
वैसे अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सरकार की भावी योजनाओं के बारे में भी बताया। और कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना से आने वाली पीढ़ी को इसकी सनातन संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा और देश-विदेश के पर्यटकों को भी उच्च स्तरीय सुविधाएं मिलेंगी।
मैं देश के अनेक राज्यों में गया हूं। वहां के ऐतिहासिक महत्व की स्थलियों को मैंने देखा है, पढ़ा है, कैमरे में और कलम में उतारा है। उत्तर से दक्षिण, और पूर्व से पश्चिम के अनेक जगहों पर जाने का अवसर मिला है। पर माता शबरी के पुण्य धाम में बैठकर अभी इन बातों को लिखते हुए उंगलियां गर्व से चल रहीं हैं, मन में गौरव की अनुभूति हो रही है, तन तृप्त है, कि विशेषताओं से लबरेज़ इस पावन स्थान को अब वाकई वो स्थान दिया जा रहा है, जिसका ये अधिकारी था। ये दायित्व हर किसी का था, पर निभाया वर्तमान सरकार ने। और इस जगह को संवारा भी इस तरह कि आने वाले पीढ़ियों को यहां के स्वर्णिम इतिहास के साथ पावन मान्यताओं और कहानियों का रसपान करने का अवसर प्रतिदिन मिलेगा, जो मुझे आज ये सब लिखकर हो रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार ये प्रयास सराहनीय है। अविश्वसनीय, ऐतिहासिक, अद्भुत।
जय शबरी धाम।