सेमिनार : कलिंगा विश्वविद्यालय में “भारत में अनौपचारिक क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की स्थिति” पर राष्ट्रीय वेबिनार का हुआ आयोजन, महिलाओं की स्तिथि पर हुई गहन चर्चा

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प्रमोद मिश्रा

रायपुर, 16 अप्रैल 2022

कलिंगा विश्वविद्यालय मध्य भारत का प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान है। जिसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के द्वारा बी प्लस की मान्यता प्रदान की गयी है। यह छत्तीसगढ़ में एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है जो एनआईआरएफ रैकिंग 2021 में उच्चस्तरीय 151-200 विश्वविद्यालयों में से एक है। कलिंगा विश्वविद्यालय के सभी पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद आदि प्रतिष्ठित संस्थानों से मान्यता प्रदान की गयी है। जिसे सीखने का समर्थन करने के उद्देश्य से बहु-विषयक अनुसंधान केंद्रित और छात्र केंद्रित विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया है जो मानव ज्ञान को आगे बढ़ाएगा।

 

 

 

इस अवसर पर कला एवं मानविकी संकाय की निर्देशन में अर्थशास्त्र विभाग ने “भारत में अनौपचारिक क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की स्थिति पर” एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया । वेबीनार का आयोजन डॉ. शिल्पी भट्टाचार्य, डीन कला और मानविकी संकाय के कुशल निर्देशन में हुआ । वेबीनार के मुख्य वक्ता डॉ. वीरेंद्र सिंह मतसनिया, सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र विभाग, डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) थे। वेबीनार की शुरुआत अर्थशास्त्र विभाग की सहायक प्राध्यापक और वेबीनार की आयोजक डॉ. नम्रता श्रीवास्तव द्वारा सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों की स्वागत के साथ हुई । कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती अनुरिमा दास, सहायक प्राध्यापक अंग्रेजी विभाग एवं वेबीनार की सह-संयोजक ने किया।

वेबिनार के वक्ता डॉ मतसनिया ने आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान विषय पर जानकारीपूर्ण एवं विचारोत्तेजक ज्ञान देकर अपना व्याख्यान दिया। साथ ही डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नारी संबंधी विचार “मैं एक समुदाय की प्रगति को महिलाओं द्वारा हासिल की गई प्रगति के स्तर से मापता हूँ” पर अपने विचार प्रस्तुत किये। साथ ही उन्होंने देश में महिला मजदूरों की स्थिति में सुधार हेतु सुझाव प्रस्तुत किए कि सरकार को महिलाओं की शिक्षा निःशुल्क करना चाहिए, महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक आयोजन होना चाहीए और आयोग की अध्यक्ष एक महिला होना चाहिए । साथ ही रूढ़ीवादी सोच को खत्म करने की बात भी की।

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डॉ. मतसनिया ने कहा कि भारत में श्रमिकों के रूप में महिलाओं की भागीदारी को लेकर एक गंभीर न्यूनानुमान है। हालांकि पारिश्रमिक पाने वाले महिला श्रमिकों की संख्या पुरुषों की तुलना में बहुत ही कम है। भारत के शहरी क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की एक बड़ी में संख्या मौजूद है। उदाहरण के तौर पर सॉफ्टवेयर उद्योग में 30 प्रतिशत कर्मचारी महिलाएं है ये पारिश्रमिक और कार्यस्थल पर अपनी स्थिति के मामले में अपने पुरुष सहकर्मियों के साथ बराबरी पर हैं। परंतु भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल महिला श्रमिकों को अधिक से अधिक 89.5 प्रतिशत तक को रोजगार दिया जाता है। कुल कृषि उत्पादन में महिलाओं की औसत भागीदारी का अनमान कुल श्रम का 55 प्रतिशत से 66 प्रतिशत तक है। वन आधारित लघु स्तरीय उद्योगों में महिलाओं की संख्या कुल कार्यरत श्रमिकों का 5# प्रतिशत है। विभिन्न आंकड़ों का दर्शाते हुए डॉ. मतसनिया ने कहा कि वैसे ही आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति दशा एवं दिशा दयनीय है और कोरोना काल की गाज भी इन्हीं पर अत्यधिक गिरी। कई महिला लघु उद्योग बंद कर दिए गए, कई ग्रामीण महिलाएं जिन कंपनियों में कार्यरत थी ये कंपनियाँ बंद हो गई। बड़े स्तर पर ग्रामीण महिलाए बेरोजगार हो गई।

डॉ. मतसनिया ने ध्यान आकर्षित करते हुए कहा ऐसी स्थिति में आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की दशा सुधारने हेतु सरकार को अहम भूमिका निभाना अत्यंत आवश्यक है। वेबीनार के मुख्य वक्ता डॉ मतसनिया ने इस प्रकार भारत में अनौपचारिक क्षेत्रों में महिला श्रमिकों की स्थिति विषय पर जानकारीपूर्ण और विचारोत्तेजक ज्ञान देकर अपना व्य दिया। पॉवर पाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से उन्होंने आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रों की की स्थिति एवं आंकड़ों की चर्चा की।

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कार्यक्रम के अंत में डॉ. नम्रता श्रीवास्तव ने आभार प्रदर्शन किया। इस आयोजन में कालेगा विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी संकाय के समस्त प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे ।

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