प्रमोद मिश्रा/गोपी कृष्ण साहू
रायपुर, 27 जुलाई 2022
छत्तीसगढ़ में मानसून सत्र का आज अंतिम दिन है । सत्र के अंतिम दिन सदन में अनियमित, संविदा, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितिकरण का मामला सदन में उठा । नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सदन में पूछा कि कितने कर्मचारियों को नियमित किया गया?
इसके जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि 11 दिसम्बर 2019 को प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम की अध्यक्षता में प्रमुख सचिव विधि-विधायी, सचिव सामान्य प्रशासन, सचिव वित्त, सचिव पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग और सचिव आदिम जाति-अनुसूचित जनजाति विकास विभाग की एक कमेटी बनाई गई है । कमेटी की एक बैठक भी हो चुकी है ।
विभागों और निगम, मंडल और आयोगों से कार्यरत अनियमित, दैनिक वेतनभोगी और संविदा कर्मचारियों की जानकारी मंगाई गई है । जानकारी कई विभागों से आ चुके हैं और कई विभागों से आनी बाक़ी है ।
कई मामले कोर्ट में भी चल रहे हैं । 28 मई 2019 को महाधिवक्ता को चिट्ठी लिखकर अभिमत माँगा गया है । कोरोना की वजह से भी देरी हुई । अब हालात सामान्य हो रहे हैं. कब तक होगा समय सीमा बताना निश्चित नहीं है. हमारी कोशिश है कि घोषणा पत्र के वादे पूरे कर दिए जाए ।
बीजेपी नेता अजय चंद्राकर ने कहा कि आज ही की प्रश्नोत्तरी में एक जवाब में बताया गया है कि 25 लोगों का नियमितिकरण किया गया है । इसके लिए अभिमत कैसे मिल गया? बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि कमेटी ने अब तक अनुशंसा नहीं की है? 9 जनवरी 2020 को कमेटी की बैठक हुई थी. ढाई साल बीत गए ।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि 2020 से 2022 हो गया मगर अब तक अभिमत नहीं आया । शिवरतन शर्मा ने कहा कि सदन को गुमराह किया जा रहा है । बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है. नियमितिकरण हो ही नहीं सकता था. 2006 का निर्णय है. जनघोषणा पत्र से लोगों को गुमराह किया गया ।
इन सवालों के जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि- अभिमत भी आएगा और नियमितिकरण भी होगा ।
सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने भारी नारेबाज़ी की । इस मामले को लेकर भारी शोर-शराबे के बीच सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी गई ।