ब्यूरो रिपार्ट
नई दिल्ली, 21 नवंबर 2022
मुंबई की श्रद्धा वालकर हत्याकांड में आरोपित आफताब ने दिल्ली पुलिस के सामने अब तक अपना मुंह बंद रखा है। पुलिस के हाथ अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं लगा है, जिसके आधार पर आफताब को कोर्ट में गुनहगार साबित किया जा सके। ऐसे में दिल्ली पुलिस की आस सोमवार को होने वाली नार्को टेस्ट पर टिकी थी। हालांकि, आज नार्को टेस्ट नहीं हो पाया है। इसी बीच खबर सामने आ रही है कि नार्को टेस्ट से पहले आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाएगा।
दिल्ली पुलिस ने सोमवार को आफताब अमीन पूनावाला का पालीग्राफ परीक्षण कराने के लिए दिल्ली की साकेत कोर्ट में एक आवेदन दिया है। साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अविरल शुक्ला ने मामले को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विजयश्री राठौड़ के पास भेज दिया, जिन्होंने पहले श्रद्धा हत्याकांड मामले की सुनवाई की थी और दिल्ली पुलिस को आफताब का नार्को टेस्ट कराने की अनुमति दी थी।
पुलिस सूत्रों की मानें तो नार्को टेस्ट को लेकर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में इस आधा पर आवेदन दिया था कि आफताब बयान बदलकर पुलिस को गुमराह कर रहा है। अब इसी आधार पर पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को लेकर भी इजाजत मांगी गई है। नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट का मकसद किसी व्यक्ति से सच उगलवाना होता है। हालांकि, दोनों जांच की प्रक्रिया एक दूसरे से अलग हैं।
सोचने-समझने की शक्ति खो देता है इंसान
नार्को टेस्ट के समय बेहद सावधानी बरतनी होती है। जरा सी लापरवाही व्यक्ति की जान ले सकती है। भारत का कानून किसी व्यक्ति का नार्को टेस्ट की इजाजत तभी देता है जब उसके खिलाफ पुख्ता सबूत न हो और वह लगातार अपनी बातों से मुकर रहा हो। इस जांच से पहले एक्सपर्ट की टीम बनाई जाती है, जिनकी निगरानी में पूरी प्रक्रिया होती है। ट्रुथ ड्रग देने के बाद इंसान का दिमाग की सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है और वह झूठ नहीं बोल पाता है। ऐसे में उसके मुंह से सच निकलने की संभावना अधिक होती है