जिम्मेदार कौन? : मगरलोड़ रेस्ट हाउस का अस्तित्व खतरे में, विभागीय उपेक्षा का शिकार हो रहा रेस्ट हाउस

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धनेश्वर बंटी सिन्हा

धमतरी, 18 फरवरी 2023

विभागीय उपेक्षा का शिकार बना लोक निर्माण विभाग का एकमात्र रेस्ट हाउस दशकों से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है । लेकिन, न तो लोक निर्माण विभाग और न ही मगरलोड के जनप्रतिनिधि इसके जीर्णोद्धार को लेकर गंभीर हैं।

 

 

 

उपेक्षा का दंश झेल रहे इस विश्राम गृह की दशा जल्द न सुधारी गई तो जल्द ही यह ढहने की कगार पर पहुंच जायेगा। लकड़ियों में भी सड़न शुरू हो गई है तथा इसके सीवरेज टैंक भी क्षतिग्रस्त हो चुके है। मगरलोड़ स्थित इस विश्राम गृह की बाहरी व भीतरी दीवारें इसकी बदहाली की कहानी खुद बयां करती हैं। दो कमरे के इस विश्राम गृह में बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं है, नाममात्र का टूटा-फूटा फर्नीचर ही आपको देखने को मिलेगा। गौरतलब है कि यह विश्राम गृह दशकों पहले बना था। कभी बेहद सुंदर प्राकृतिक नजारों से घिरा हुआ था, यह विश्राम गृह कई अधिकारियों व अनुसंधानकर्ताओं के कदमों का गवाह रहा है। यही नहीं इस क्षेत्र की कई परियोजना का खाका यहीं रह कर खींचा था। स्थानीय लोगों का कहना है कि कभी यह विश्रामगृह बहुत खूबसूरत दिखता था।
लेकिन विभाग की अनदेखी और उपेक्षा के चलते यह बदहाल होते जा रहा है। यद्यपि यहां दो कर्मचारी भी नियुक्त हैं, फिर भी इसकी खस्ताहाल स्थिती को देखते हुए इसके सरंक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता है। सरकार पर्यटन के क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन इस विश्राम गृह के संरक्षण एवं संवर्धन की ओर कोई भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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भारतीय जनता पार्टी धमतरी जिला उपाध्यक्ष नरेश सिन्हा एवं सांसद प्रतिनिधि जनपद मगरलोड क्षेत्र के दिगग्ज नेता का कहना है इस विश्राम गृह का भवन काफी क्षतिग्रस्त हो चुका है। लोगों की मांग है कि इस भवन को तोड़कर यहां पर एक नए आलीशान विश्राम गृह का निर्माण किया जाए। मगरलोड़ विश्राम गृह स्थानीय पर्यटकों के लिए रुकने का एक अच्छा विकल्प बन सकते हैं जिससे सरकार को अच्छी आमदानी हासिल हो सकती है। कुरूद सब इंजीनियर ओ प्रभारी प्रशांत साहू का के साथ पंचायत अध्यक्ष नीतू खिलावन साहू मगरलोड भैंसमुंडी का कहना है निरीक्षण कुटीर चार कुर्सी की भरोसा चल रहा, धमतरी लोक निर्माण विभाग अधिकारी फोन के माध्यम से बातचीत हुई तो बताया जल्द ही भिजवा रहा हूं कहकर फोन को रख दिया । आम जनता एवं जनप्रतिनिधि का कहना है कि विधायक या कोई अधिकारी आते हैं तो खड़ा-खड़ा ही बातचीत किया जाता है।

प्रशांत साहू का कहना है कि प्रस्ताव भेजव दिया गया है, शासन के निर्देश आएगा तब कुर्सी लिया जाएगा।

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