बिलासपुर:उद्योग और खदानों की नगरी तमनार, ग्रामीण बोले विकास के नाम पर हमारी किस्मत में धूल, धुआं और राख

छत्तीसगढ़

प्रमोद मिश्रा

बिलासपुर. 01 मई 2023 : पेड़ की शाखों पर चढ़ी काली परत, सड़क पर काली धूल की मोटी चादर और उसी सड़क पर गुजरती तीन से चार महिलाएं अपने आंचल को ही मास्क बनाकर अपने गंतव्य की ओर चली जा रही थीं, उनकी नजर कभी सड़क पर होती तो कभी धुआं उगलती उद्योग की चिमनियों पर जो सड़क के ठीक बाजू में ही थीं। दरअसल ये इलाका उद्योग और खदानों की नगरी तमनार का है। थोड़ी दूर आगे बढ़ने पर हुंकराडीपा चौक आया जहां 15 से 20 गांव के सौ के आसपास या फिर ज्यादा ही ग्रामीण टेंट लगाकर आर्थिक नाकेबंदी का नारा देकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे। सामने की सड़क पर चार से पांच बड़े टायर रखकर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया गया था, सड़क के दोनों ओर अतिकाय वाहनों की कतार खड़ी थी। किसी की हिम्मत नहीं थी कि ग्रामीणों द्वारा खिंची गई लक्ष्मणरेखा को लांघ जाए। बीच-बीच में हमारी मांगे पूरी करो के नारे भी गूंज रहे थे। ये वो मांगें थी जो लंबे समय से चली आ रही थीं पर राजनीतिक नहीं थी।

हम विकास को भुगत रहे हैं
धरने पर बैठे ग्रामीणों से जब मुद्दों को लेकर बात शुरू हुई और विकास का जिक्र आया तो जैसे वो भड़क गए थे उन्होंने कहा कि आप बिलासपुर से आए हो आप विकास को भोग रहे हो लेकिन इस विधानसभा में हम विकास को भुगत रहे हैं। हर सप्ताह, हर माह इसी सड़क पर इन भारी वाहनों के कारण किसी न किसी घर का कोई चिराग बुझ रहा है, हादसे में मौत हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है। आपकी बात सही है कि चिमनी जलती है तो देश चलता है लेकिन यहां जब चिमनी जलती है तो हमारी सांस फूलती है। खदानों में जब धमाका होता है तो हमारी दीवार दरकती है। इस बरगद को देखिए और बताइए कौन सा पत्ता हरा दिख रहा है विकास के नाम पर हमारी किस्मत में धूल, धुआं और राख थोप दिया गया है।

 

 

 

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लूट मची है जमीन की
आंदोलनरत ग्रामीणों का कहना था कि यहां खदान और उद्योग के नाम पर जमीनों की लूट मच गई है। आदिवासी जमीन औने-पौने दाम पर खरीदी जा रही है इसके बाद उसपर निर्माण हो जा रहा है ताकि अधिग्रहण में उसकी कीमत ज्यादा मिले। ऐसे एक दो नहीं कई मामले हैं, इसकी शिकायत करके हम हार चुके हैं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अधिकारी, नेता, पक्ष-विपक्ष कोई हमारे साथ नहीं है, क्योंकि इस खेल में इनकी भी हिस्सेदारी है।

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