‘न जल, न जीवन’ मिशन: जीपीएम में 328 करोड़ की लागत से 74 हजार घरों में नल लगे, फिर भी साल भर से 222 गांव प्यासे

छत्तीसगढ़

प्रमोद मिश्रा,

गौरेला , 02 मई 2023

छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में केंद्र सरकार की हर घर तक पानी पहुंचाने की योजना जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने 327 करोड़ 91 लाख की लागत से 222 गांवों के 74 हजार 838 घरों ने नल लगाए, पर साल भर बीतने के बाद भी इनमें पानी नहीं आया। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर गांव आदिवासियों के हैं। कलेक्टर ऋषि महोबिया भी इसमें अनियमितता की बात स्वीकार करती हैं। हालांकि वह इसे दुरुस्त कराने की बात कहती हैं।

 

 

 

ठोड़ी का गंदा पानी पी रहे लोग
गौरेला की आदिवासी ग्राम पंचायत टीडी में साल भर पहले ही लोगों के घरों में नल कनेक्शन पहुंच गया था। हालांकि इन नलों से पानी अभी तक नहीं आया। इसके चलते यहां के ग्रामीण आज भी पेयजल के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे ठोड़ी से गंदा पानी लेकर आते हैं और उसे पीने के लिए मजबूर हैं। यही स्थिति पुटा ग्राम पंचायत के टीडी गांव में भी हैं। गांव की संतरा बाई बताती हैं कि, नल कलेक्शन तो लगा है, पर पानी डेढ़ सालों में आज तक नहीं मिला। ऐसे ही हालात करंगरा सहित अन्य गांवों में भी हैं।

नलों में पानी आया नहीं, हैंडपंप में भी मोटर लगा दी
विशेष जनजाति बैगा बाहुल्य करंगरा गांव में जल जीवन मिशन के तहत लगाए गए नलों से आज तक पानी नहीं आया है। आता भी है तो बस उस नल से जो टंकी के ही नीचे लगाया गया है। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में जिस हैंडपंप से लोगों को पहले पानी मिलता था, उसमें भी ठेकेदार ने मोटर फिट करवा दी। दूरस्थ इलाका होने के कारण कई बार घंटों बिजली नहीं रहती। लाल जी बैगा बतला रहे है कि हैंडपंप से पानी ले आते थे, उंसमें भी मशीन डाल दी। अब बिजली बंद तो पानी नहीं मिलता। इसके चलते दूर से पानी लाना पड़ता है।

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गुणवत्ताहीन टंकी बनाई, फिर तोड़ने के आदेश, अब अधूरी छोड़ी
जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर मरवाही ब्लॉक का महोरा गांव। यहां पेय जल की समस्या सालों से है। ठेकेदारों ने पानी की टंकी बनाई और हर घर में नल लगाया। काम विभाग के इंजीनियर, एसडीओ और ईई की निगरानी में हुआ। नतीजा स्कूल परिसर में बनाई गई इस टंकी को गुणवत्ताहीन बताते हुए तोड़ने का आदेश अफसरों ने कर दिया। उसमें भी लापरवाही बरती गई। ऊपरी हिस्सा तोड़कर उसे छोड़ दिया गया। स्थानीय ग्रामीण कहते हैं कि टंकी के इस्तेमाल के बाद हादसा हो सकता था, अब भी ऐसी ही स्थिति है।

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