प्रमोद मिश्रा, , 04 मई 2023
बस्तर से लेकर तीन राज्य के जंगल को जोड़ने वाले नक्सलियों के रेड कॉरिडोर पर सन्नाटा पसर गया है। इसकी वजह नांदगांव (अविभाजित) डीआरजी के जवानों की दहशत है। बस्तर में डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) के दस जवानों के शहीद होने के बाद सभी संवदेनशील हिस्सों में फोर्स अलर्ट पर है। लेकिन डीआरजी की दहशत से नक्सलियों ने अपने ही कॉरिडोर से दूरी बना ली है।
बस्तर से कांकेर, गढ़चिरौली से मोहला-मानपुर होकर बोरतलाव और फिर एमपी के बालाघाट के जंगलों से कवर्धा के भोरमदेव तक नक्सलियों ने अपना रेड कॉरिडोर तैयार किया था। लेकिन लंबे समय से नक्सलियों ने अपने कॉरिडोर में ठहरना बंद कर दिया है।
इतना ही नहीं नक्सली कॉरिडोर में आने वाले गांवों से राशन लेना भी बंद कर चुके हैं। कभी इस कॉरिडोर में दर्जनों की संख्या में नक्सली बैठकें करते और कई दिनों तक नक्सल टुकड़ी का ठहरना रहता था। फोर्स का दबाव बढ़ने पर एमपी, महाराष्ट्र और बस्तर तक के नक्सली इसी कॉरिडोर में छिपते रहे हैं।
लेकिन अब इस हिस्से से एक या दो की संख्या में ही नक्सली गुजर रहे हैं। वह भी चंद घंटों में ही इलाके को छोड़ रहे हैं। इसकी बड़ी वजह हर हिस्से में डीआरजी की पहुंच और निगरानी है। नक्सल कमांडर जमुना के एनकांउटर और डेविड की गिरफ्तारी के बाद डीआरजी की इस इलाके में मौजूदगी के साथ मजबूती बढ़ी है।
नक्सलियों के ठहराव या गांव आने का इनपुट नहीं
वर्ष 2019 से कोरोचा से बुकमरका जाने वाली 10.70 किमी लंबी सड़क का निर्माण जारी है। इसका निर्माण फोर्स की मदद से एक माह में पूरा हो जाएगा। करीब साढ़े 7 किमी का डामरीकरण बचा हुआ है। निर्माण के दौरान 5-6 बार यहां मुठभेड़ हो चुकी थी।
आक्रामक की बजाय अब रक्षात्मक हुआ संगठन
इस पूरे हिस्से में नक्सलियों ने अपनी रणनीति भी बदल दी है। फोर्स की पहुंच और सूचना तंत्र के चलते नक्सलियों ने इस हिस्से में रक्षात्मक रवैया अपना लिया है। पूर्व में नक्सली अपने कारीडोर के हिस्से में आक्रामक रहते थे। लेकिन अब ऐसी कोई भी मूवमेंट नहीं कर रहे हैं, जिसकी सूचना पुलिस तक पहुंचे। गांवों के राशन लेने के दौरान भी फोर्स को इसकी सूचना मिल जाती थी, जिससे नक्सली घिर रहे थे। यही वजह है रक्षात्मक मोड में आ चुके संगठन ने अब गांवों से राशन जुटाना भी बंद कर दिया है, ताकि पुलिस तक उनके मूवमेंट की सूचना न पहुंचे।
कॉरिडोर में एमएमसी जोन की बड़ी बैठकें होती रहीं
रेड कॉरिडोर में एमएमसी जोन की बड़ी बैठकें होती रही हैं। इसी हिस्से में नक्सली संगठन को विस्तार देने से लेकर वारदातों की योजना तैयार करते थे। एक बैठक के दौरान सीतागोटा से लगे जंगल में 7 नक्सलियों को ढेर किया था। बस्तर से प्रशिक्षित 30 नक्सलियों की टुकड़ी भी दो साल पहले इसी कॉरिडोर से भोरमदेव जा रही थी, जिसमें 27 नक्सलियों का एनकांउटर किया था। इस कॉरिडोर में 55 से अधिक जगहों से डंप भी बरामद हो चुका है। राशन जुटाने के लिए इसी कारीडोर के गांवों का इस्तेमाल नक्सली करते थे। लेकिन अब मूवमेंट पर ब्रेक लग गया है।