प्रमोद मिश्रा,
नई दिल्ली, 17 मई 2023
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान ED से कहा कि भय का माहौल न बनाएं. भूपेश बघेल को राज्य में कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी बनाया गया है. राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए अमानुल्लाह की पीठ के सामने आरोप लगाया कि राज्य के आबकारी विभाग के कई अधिकारियों ने शिकायत की है कि ईडी उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तारी की धमकी दे रहा है और मुख्यमंत्री को फंसाने की कोशिश कर रहा है. सरकार के मुताबिक अधिकारियों ने कहा है कि वे विभाग में काम नहीं करेंगे.
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा, ‘ईडी बौखलाया हुआ है. वे आबकारी अधिकारियों को धमका रहे हैं.’ उन्होंने पीठ से कहा, ‘यह चौंकाने वाली स्थिति है. अब चुनाव आ रहे हैं और इसलिए यह हो रहा है.’ ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि एजेंसी राज्य में एक घोटाले की जांच कर रही है. पीठ ने कहा, ‘जब आप इस तरह का व्यवहार करते हैं तो एक वास्तविक कारण भी संदिग्ध हो जाता है. भय का माहौल न बनाएं.
पिछले महीने, छत्तीसगढ़ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली शीर्ष अदालत का रुख करने वाला पहला राज्य बन गया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि गैर भाजपा राज्य सरकारों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों का सामान्य कामकाज को धमकाने, परेशान करने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है.
भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत कानून को चुनौती देते हुए वकील सुमीर सोढ़ी के माध्यम से एक मूल मुकदमा दायर किया है, जो किसी राज्य को केंद्र या किसी अन्य राज्य के साथ विवाद के मामलों में सीधे सर्वोच्च न्यायालय में जाने का अधिकार देता है. शीर्ष अदालत मंगलवार को छत्तीसगढ़ के दो व्यक्तियों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें से एक को ईडी ने मामले के संबंध में गिरफ्तार किया है, जिसने ED के एक्शन को चुनौती दी है.
राज्य सरकार ने ED के खिलाफ खोला मोर्चा
राज्य ने याचिका में पक्षकार बनाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है, जिसमें दावा किया गया है कि आबकारी विभाग के 52 अधिकारियों ने जांच के दौरान ईडी अधिकारियों द्वारा मानसिक और शारीरिक यातना का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत की है. राज्य सरकार ने अपने आवेदन में दावा किया है, ‘कई अधिकारियों ने गंभीर आरोप लगाया है कि न केवल उन्हें धमकाया गया बल्कि अधिकारियों के परिवार के सदस्यों को भी शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और खाली पन्नों या पूर्व-टाइप किए गए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने की धमकी दी गई.’
मुख्यमंत्री और राज्य प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने आवेदन में कहा है, ‘राज्य में अधिकारियों को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों द्वारा उनकी गिरफ्तारी या उनके परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी की धमकी दी जा रही है और अगर वे अधिकारियों द्वारा बताए गए बयान नहीं देते हैं और हस्ताक्षर नहीं करते हैं और मामलों में फंसाया जाता है. ॉ
SC ने ED से मांगा जवाब
पीठ ने ईडी से राज्य द्वारा दायर आवेदन पर जवाब देने को कहा है. राज्य ने अपने आवेदन में दावा किया है कि लिखित शिकायत करने वाले अधिकारियों को अब कठोर कार्रवाई की धमकी दी जा रही है और राज्य पुलिस के सामने दिए गए बयानों को वापस लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है.