प्रमोद मिश्रा, 2 जून 2023
शहडोल जिले के अंतिम छोर पर छत्तीसगढ़ सीमा से लगी दरसिला चौकी पिछले दो माह से प्रधान आरक्षक के भरोसे है। यह चौकी जैतपुर थाना क्षेत्र में आती है। पिछले दो माह से चौकी प्रभारी छुट्टी पर है। सहायक उपनिरीक्षक की यहां पदस्थापना नहीं है। इस वजह से चौकी का प्रभार प्रधान आरक्षक के कंधे पर है। इस समय यहां एक प्रधान आरक्षक एवं पांच आरक्षक समेत कुल छह का स्टाफ है। नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र में होने से यह चौकी संवेदनशील मानी जाती है। इस वजह से लोगों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, दरसिला चौकी में एक एसआई, एक एएसआई, चार प्रधान आरक्षक और आठ आरक्षक पद स्वीकृत है। कुछ महीने से यहां न तो सब इंस्पेक्टर है और न ही एएसआई। यहां स्वीकृत पदों के हिसाब से भी पुलिसकर्मियों की पदस्थापना नहीं हुई है। प्रभारी भी दो माह से अवकाश पर हैं। वर्तमान समय चौकी में केवल एक प्रधान आरक्षक और पांच आरक्षक तैनात है। चौकी के अंतर्गत 29 गांव आते हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग 30 किलोमीटर में फैला है। ऐसे मे अपराधों पर अंकुश लगाने में परशानी हो रही है। यदि कोई घटना होती है तो 15 किलोमीटर दूर स्थित झींक बिजुरी के चौकी प्रभारी को दरसिला जाना पड़ता है। हालत यह है कि झींक बिजुरी की चौकी में भी स्वीकृत के मुकाबले कम स्टाफ है। वहां केवल एक एसआई एवं एक एएसआई है। तीन प्रधान आरक्षक और दो आरक्षक ही हैं। झींक बिजुरी की चौकी का क्षेत्र 26 गांवों तक फैला है। सबसे ज्यादा दिक्कत न्यायालयीन कार्यों में आ रही है। जब प्रधान आरक्षक को कोर्ट जाना होता है तो काम ठप ही हो जाता है।
जैतपुर थाना प्रभारी भानुप्रताप सिंह का कहना है कि दरसिला चौकी प्रभारी दो माह से अवकाश पर है। झींक बिजुरी चौकी प्रभारी के पास अतिरिक्त प्रभार दिया है। कोई बड़ा मामला होने पर वह दर्शीला चौकी पहुंचकर मामले की विवेचना करते हैं।