प्रमोद मिश्रा, 02 जून 2023:छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया गया गया है। इसमें देशभर से कलाकार प्रस्तुति देने पहुंचे हुए हैं। इसमें रामनामी समुदाय भी शिरकत कर रहा है। यह समुदाय अपने पूरे शरीर पर राम नाम लिखवाया रहता है। इस दौरान एक कलाकार ने बताया कि वो राम नाम लिखवाकर लोगों को नशामुक्त होने का संदेश देना चाहते हैं। उनका कहना है कि लोग भोजन में शाकाहार लें और मन, वचन, कर्म से किसी को बिना कष्ट दिए भगवान राम के नाम का जाप करें।
यह समुदाय गोदना के जरिए भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति और आस्था का भाव प्रकट करते हैं। छत्तीसगढ़ का यह संप्रदाय राम के नाम को अपने भीतर ऐसे समा लिया है कि अपने पूरे शरीर पर राम नाम का गोदना कर लिया है। उनके कपड़ों पर भी राम नाम लिखा रहता है। भक्ति भाव की ऐसी परंपरा देश में अन्य कहीं देखने को कम ही मिलती है। रामनामी संप्रदाय ने पूरी तरह अपने को राम के रंग में रंग लिया है। उनका पूरा जीवन अपने आराध्य की भक्ति में लीन है।
इस संप्रदाय का बसेरा उन्हीं क्षेत्रों में है, जहां से भगवान श्रीराम के पवित्र चरण गुजरे और जिन्हें अभी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल श्रीराम वन गमन पथ के रूप में विकसित कर रहे हैं। उनका बसेरा जांजगीर चांपा, शिवरीनारायण, सारंगढ़, बिलासपुर के पूर्वी क्षेत्र में है और अधिकतर ये नदी किनारे पाए जाते हैं। भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान महानदी के किनारों से गुजरे और संभवतः इन इलाकों में रहने वाले लोगों को सबसे पहले उन्होंने अपने चरित्र से प्रभावित किया होगा।
उनका मानना है कि उनके भगवान भक्त के बिना अधूरे हैं। सच्चे भक्त की खोज भगवान को भी होती है। छत्तीसगढ़ में यह पद्य बहुत चर्चित है कि हरि का नाम तू भज ले बंदे, पाछे में पछताएगा जब प्राण जाएगा छूट। रामनामी संप्रदाय के हिस्से में इस पछतावे के लिए जगह ही नहीं है क्योंकि उनका हर पल राम के नाम में लिप्त है। न केवल राम का नाम बल्कि आचरण भी वे अपने जीवन में उतारते हैं। जिस तरह वे सुंदर मोर पंख धारण करते हैं, उसी प्रकार की मन की सुंदरता भी उनके भीतर है। भगवान श्रीराम का नाम और उनका आदर्श चरित्र उनके मन को निर्मल रखता है। मयूर की तरह ही सुंदर मन के साथ वे प्रभु की भक्ति में लीन रहते हैं।
छत्तीसगढ़ के रामनामी संप्रदाय के रोम-रोम में भगवान राम बसते हैं। तन से लेकर मन तक तक भगवान राम का नाम है। इस समुदाय के लिए राम सिर्फ नाम नहीं बल्कि उनकी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये राम भक्त लोग ‘रामनामी’ कहलाते हैं। राम की भक्ति भी इनके अंदर ऐसी है कि इनके पूरे शरीर पर ‘राम नाम’ का गोदना गुदा हुआ है। शरीर के हर हिस्से पर राम का नाम, बदन पर रामनामी चादर, सिर पर मोरपंख की पगड़ी और घुंघरू इन रामनामी लोगों की पहचान मानी जाती है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की भक्ति और गुणगान ही इनकी जिंदगी का एकमात्र मकसद है। रामनामी संप्रदाय के पांच प्रमुख प्रतीक हैं। ये हैं भजन खांब या जैतखांब, शरीर पर राम-राम का नाम गोदवाना, सफेद कपड़ा ओढ़ना, जिस पर काले रंग से राम-राम लिखा हो, घुंघरू बजाते हुए भजन करना और मोरपंखों से बना मुकट पहनना है। रामनामी समुदाय यह बताता है कि श्रीराम भक्तों की अपार श्रद्धा किसी भी सीमा से ऊपर है।