केंद्र की कैडर समीक्षा रिपोर्ट से CRPF, BSF का नाम गायब, गृह मंत्रालय में किसकी मेज पर है फाइल!

छत्तीसगढ़

केंद्रीय अर्धसैनिक बल, बीएसएफ और सीआरपीएफ सहित केंद्र सरकार के कई विभागों में कैडर रिव्यू प्रक्रिया लंबित है। हर पांच साल में यह समीक्षा पूरी होना जरूरी है। मौजूदा स्थिति में किसी विभाग की फाइल, कैडर रिव्यू कमेटी के पास है, तो कहीं पर उस फाइल को कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिल सकी है। कुछ विभागों की फाइलें व्यय विभाग, कैडर रिव्यू कमेटी या डीओपीटी के पास लंबित पड़ी हैं। सीआरपीएफ का पिछला कैडर रिव्यू 2016 में हुआ था। बल के लिए कैडर रिव्यू कमेटी ‘सीआरसी’ की बैठक 15 दिसंबर 2015 को हुई थी, जबकि उसे 29 जून 2016 को कैबिनेट की मंजूरी मिली थी। इसी तरह बीएसएफ के कैडर रिव्यू को 12 सितंबर 2016 को कैबिनेट की स्वीकृति प्रदान की गई थी। डीओपीटी की 17 जुलाई की कैडर रिव्यू रिपोर्ट में सीआरपीएफ और बीएसएफ का नाम ही नहीं है। इनके रिव्यू की क्या स्थिति है, फाइल किसकी टेबल पर है, इसकी जानकारी तक नहीं दी गई है। नियमानुसार, दोनों बलों की कैडर रिव्यू प्रक्रिया गत वर्ष पूरी हो जानी चाहिए थी।

इन विभागों की ये है कैडर रिव्यू स्टेटस रिपोर्ट
इंडियन डिफेंस एस्टेट सर्विस के लिए कैडर रिव्यू कमेटी की बैठक हो चुकी है। कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी को अब कैबिनेट की मंजूरी लेनी है। इंडियन नेवल आर्मामेंट सर्विस, मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस ‘आईडीएसई’ सर्वेयर एंड आर्किटेक्ट, सेंट्रल जियोलॉजिकल सर्विस ग्रुप ‘ए’, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया केमिकल सर्विस ग्रुप ‘ए’, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया जियोफिजिकल सर्विस ग्रुप ‘ए’, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया इंजीनियरिंग सर्विस ग्रुप ‘ए’, रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ‘आरपीएफएस’, इंडियन रेडियो रेग्यूलेटरी सर्विस, इंडियन कॉरपोरेट लॉ सर्विस और सेंट्रल हेल्थ सर्विस की फाइल को भी कैबिनेट की मंजूरी मिलने का इंतजार है। इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री हेल्थ सर्विस के कैडर रिव्यू की फाइल, सीआरसी के निर्देश पर डीओडीपी और स्वास्थ्य मंत्रालय के पास जरूरी कार्यवाही के लिए भेजी गई है। इंडियन फॉरेन सर्विस, इंडियन सिविल अकाउंट्स सर्विस, सेंट्रल इंजीनियरिंग सर्विस ‘रोड्स’ और डिफेंस एयरोनॉटिकल क्वॉलिटी एश्योरेंस सर्विस की फाइल को कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी द्वारा कैबिनेट की मंजूरी लेना बाकी है।

इन विभागों की कैडर रिव्यू कमेटी की बैठक हो चुकी है
सर्वे ऑफ इंडिया ग्रुप ‘ए’ सर्विस की रिपोर्ट को लेकर सीआरसी की बैठक हो चुकी है। सीआरसी के निर्देश पर सीसीए द्वारा जरूरी एक्शन लिया जा हा है। रिवाइज्ड प्रपोजल प्राप्त हो चुका है। इंडियन स्किल डेवलपमेंट सर्विस के मामले में सीआरसी बैठक हो चुकी है। सीआरसी के निर्देश पर सीसीए द्वारा जरुरी एक्शन लिया जा रहा है। सेंट्रल लेबर सर्विस के मामले में 16 जनवरी को सीआरसी बैठक रखी गई थी। सीआरसी के निर्देश पर सीसीए द्वारा जरूरी एक्शन लिया जा रहा है। इंडियन लीगल सर्विस के मामले में सीआरसी की बैठक हो चुकी है। सीआरसी के निर्देश पर सीसीए द्वारा जरूरी एक्शन लिया जा रहा है। भारतीय सांख्यिकी सेवा के केस में सीआरसी द्वारा की गई सिफारिशों को व्यय विभाग के पास भेजा गया है। वित्त मंत्री की मंजूरी मिलने का इंतजार है। इनके अलावा कैडर रिव्यू कमेटी के पास कोई भी पेंडिंग फाइल नहीं है। व्यय विभाग के पास भी कोई फाइल नहीं है। डीओपीटी के पास केवल सेंट्रल वाटर इंजीनियरिंग सर्विस की फाइल है। सीसीए द्वारा दाखिल जवाब प्राप्त हो चुके हैं। उन्हें एग्जामिन किया जा रहा है। सेंट्रल इंजीनियरिंग सर्विस, सेंट्रल इलेक्ट्रीकल एंड मेकेनिकल इंजीनियरिंग सर्विस और सेंट्रल आर्किटेक्चर सर्विस को लेकर डीओपीटी की तरफ से जवाब आना बाकी है।

क्या दो सप्ताह में होगा कोई निर्णय
केंद्रीय अर्धसैनिक बल, बीएसएफ और सीआरपीएफ में खासतौर पर सिपाही से लेकर सहायक कमांडेंट तक के रैंक वाले परेशान हैं। वजह, इन्हें समय पर पदोन्नति नहीं मिल रही। केंद्र सरकार के कई विभागों में कैडर समीक्षा लंबित है। नियमानुसार, हर पांच साल में कैडर समीक्षा की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। सीआरपीएफ और बीएसएफ में सिपाही को पहली पदोन्नति, 18 से 20 साल में मिल रही है। सीधी भर्ती के जरिए सेवा में आने वाले सहायक कमांडेंट को मौजूदा समय में डिप्टी कमांडेंट बनने में 13 से 15 साल लग रहे हैं। अगर कोई निरीक्षक है, तो उसे सहायक कमांडेंट के पद पर पहुंचने में लगभग 15 वर्ष लग जाते हैं। दो साल से कैडर अधिकारियों की समीक्षा फाइल एक टेबल से दूसरी टेबल पर घूम रही है। कभी तो मामला अदालत में होने की बात कह दी जाती है, तो कभी विचार विमर्श या जरुरी कमेंट्स मांगने के लिए फाइल विशेषज्ञों की मेज पर पहुंच जाती है। नतीजा, पिछले पांच वर्ष में सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआईएसएफ और असम राइफल्स में 50155 कर्मियों ने जॉब छोड़ दी है। मौजूदा केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को सेवा विस्तार नहीं मिलता है, तो वे अगले माह सेवानिवृत्त हो जाएंगे। ऐसा माना जा रहा है कि दो सप्ताह में इस बाबत कोई निर्णय लिया जा सकता है।

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रेल मंत्रालय ने दिया, मगर गृह मंत्रालय ने नहीं
रेलवे सुरक्षा बल ‘आरपीएफ’ भी सीएपीएफ के साथ न्यायालय में सह-याचिकाकर्ता था। केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद रेल मंत्रालय ने न्यायालय के आदेश को अक्षरश: लागू कर दिया। आरपीएफ को संगठित सेवा का दर्जा मिल गया। उन्हें एनएफएफयू के सभी लाभ मिल गए और साथ ही उनकी सेवा का नाम बदलकर ‘आईआरपीएफएस’ कर दिया। जानकारों का कहना है कि सीएपीएफ में पुराने सेवा नियमों की आड़ में खंडित एनएफएफयू को न्यायालय के आदेश की व्याख्या कर लागू किया गया है। नतीजा, इससे सीएपीएफ कैडर अफसरों की एक बहुत छोटी संख्या को ही उसका लाभ मिल सका। अधिकांश अफसरों की पदोन्नति से जुड़ी समस्याएं जस की तस बनी रहीं। एक ही न्यायालय के आदेश की विभिन्न मंत्रालयों द्वारा अलग-अलग व्याख्या कर दी गई। अधिकारियों के मुताबिक, जब तक ओजीएएस ‘संगठित सेवा’ पैटर्न के अनुसार, भर्ती नियमों/सेवा नियमों में संशोधन नहीं किया जाता है, तब तक ओजीएएस का लाभ नहीं दिया जा सकता। सीएपीएफ के अधिकारियों की मांग है कि ओजीएएस पैटर्न के अनुसार, संशोधित भर्ती नियम/सेवा नियमों के साथ कैबिनेट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूर्ण कार्यान्वयन किया जाए। अनेकों बार मांग करने के बाद भी उनके सेवा नियम/भर्ती नियम संशोधित नहीं किए गए।

‘समूह ए’ अधिकारियों की सेवाएं 1986 से संगठित
पांच केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल/सीएपीएफ, जिसमें बीएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी, सीआईएसएफ और आईटीबीपी शामिल हैं। इन बलों में ‘समूह ए’ अधिकारियों की सेवाएं 1986 से संगठित हैं, मगर अधिकारियों को उसका लाभ नहीं मिल सका। 2006 के दौरान जब छठे केंद्रीय वेतन आयोग ने आईएएस, आईपीएस व आईआरएस सहित अन्य सभी संगठित समूह ए सेवाओं ‘ओजीएएस’ के लिए गैर कार्यात्मक वित्तीय उन्नयन ‘एनएफएफयू’ योजना शुरु की तो कैडर अधिकारियों ने भी इसका लाभ देने की मांग की।

हालांकि तब ‘सीएपीएफ’ को संगठित समूह ‘ए’ सेवा के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद कैडर अफसरों ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद 3 सितंबर 2015 के दिन अदालत ने अपने फैसले में सीएपीएफ को 1986 से ‘संगठित समूह ए सेवा’ घोषित कर दिया। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सर्वोच्च न्यायालय ने 5 फरवरी 2019 को दिए अपने फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 जुलाई 2019 को अपनी एक घोषणा के जरिए ‘सीएपीएफ संगठित सेवा ए’ को मंजूरी प्रदान कर दी। तक कैडर अफसरों में भी यह उम्मीद जगी थी कि उन्हें एनएफएफयू के परिणामी लाभ मिल जाएंगे।

 

 

 

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