प्रमोद मिश्रा
21 अगस्त 2023
47 साल बाद चांद की ओर निकला रूस का मिशन नाकाम रहा है। चांद के दक्षिणी ध्रुव की ओर लैंडिंग को निकला रूसी यान ‘लूना-25’ शनिवार को हादसे का शिकार हो गया। रूसी स्पेस एजेंसी Roscosmos ने रविवार को बताया कि लूना-25 की चांद से दूरी घटाने की प्रक्रिया में शनिवार को तकनीकी खामी आई और उसके बाद से इससे संपर्क टूट गया। इस रूसी यान को सोमवार को चांद के साउथ पोल पर लैंड करना था। दुनिया की नजरें अब भारत के चंद्रयान-3 पर हैं, जिसके लैंडर ‘विक्रम’ को चांद के साउथ पोल पर ही बुधवार की शाम सॉफ्ट लैंडिंग करना है। इसमें कामयाबी भारत के लिए इतिहास रचने का मौका होगी, क्योंकि आज तक कोई भी देश चांद के साउथ पोल पर अपने यान को नहीं उतार सका है।
चंद्रयान-3 को बड़ी कामयाबी
चंद्रयान-3 के लैंडर की चांद से दूरी घटाने में शनिवार-रविवार की रात बड़ी कामयाबी मिली। इस दौरान विक्रम लैंडर की दूसरी और अंतिम डीबूस्टिंग की गई यानी उसकी स्पीड को धीमा किया गया और उसे चांद की सतह के और नजदीक लाया गया। अब लैंडिंग साइट पर सूरज निकलने का इंतजार होगा और बुधवार शाम सॉफ्ट लैंडिंग का मौका होगा।
लैंडर ‘विक्रम’ की स्पीड और चांद से दूरी घटाई गई
25X134 किलोमीटर की ऑर्बिट में चांद के चक्कर लगा रहा है यानी चांद से न्यूनतम दूरी 25 किमी, अधिकतम 134 किमी रह गई।
23 अगस्त की शाम 6:04 बजे 25 किमी की ऊंचाई से होगी लैंडिंग की कोशिश, पहले शाम 5:47 बजे का तय था वक्त।
साउथ पोल पर होनी है लैंडिंग
69.37˚ डिग्री अक्षांश पर लैंडिंग साइट कमोबेश वही है, जो चंद्रयान-2 की थी। लेकिन इस बार लैंडिंग का संभावित एरिया बढ़ाकर 4×2.5 KM, चंद्रयान-2 के समय 500X500 मीटर का था।
आज तक कोई देश साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग में कामयाब नहीं रहा। वजह यह कि चांद के इस ध्रुवीय इलाके में कई हिस्से पूरी तरह अंधेरे में रहते हैं। तापमान शून्य से 230 डिग्री नीचे, क्रेटर भी खूब हैं। सूरज की रोशनी के अभाव में इक्विपमेंट चलाना मुश्किल है।